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________________ INTRODUCTION 308 णिय-णन्दणु णियय-थाणे थवेंवि 1582. 308 VP. ठविऊण निययरजे पुत्तं। 10 83. 309 चमरें अमरें दिण्णु वरु सूलाउहु 159 4. 309 असुरेन्द्रण यहत्तं शूलरत्नं महागुणम् ।। 12 12. VP. एयस्स मूलरयणं दिलं असुरेण। 12 6. 310 थिउ णवर गम्पि कहलास-धरें 15 9 5. 310 चिरेण xx प्रापाष्टापदभूधरम् । 12 72. ___VP. अट्ठावयपव्वयं पत्तो। 12 36. 311 वन्देप्पिणु जिणवर-भवणाई। 15 9 8. 311 नमस्कृतजिनालयः। 12 78. 312 जलकुम्वरहॉ दुल्लङ्घ-णयर-परमेसरहाँ। 312 नलकूबरःxx पुरे दुर्लक्यसंज्ञके 12 79. 15 10 2. VP. नलकुव्वरो त्ति नामं दुल्लापुरे परिवसइ । 1238. 313 वलवन्तई जन्तई। 15 10 6. 313 उदारय पणि । 1292. 314 मई होन्तिएँ। 15 12 1. 314 मयि सत्याम् । 12 104. 315 तहि तुमुले जुझ xxx, 315 ततो महति संग्रामे xx विभीषणेन वेगेन जिह सहसकिरणु रणे रावणेण ॥ xxx नलकूबरः गृहीतःxxx। तक्खणेण, जलकुम्वरु धरिउ विहीसणण ॥ सहस्रकिरणे कर्म दशव केण यत्कृतं । 15 15 6-7. विभीषणेन xx तत्कृतं नलकूबरे ॥ 12 142-144. VP. गहिओ विहीसणेणं नलकुवरपत्थिवो समरे। . 1268 316 वाणर-चिन्धु xxx महिन्दहाँ णन्दणु। 316 सूनुर्महेन्द्रस्य कपिकेतोः। 12 205 17 39 VP. कइद्धओ महिन्दसुओ। 1296 317 मई ताय जियन्ते। 17 5 10. 317 सत्येव मयि देवेन्द्र। 12 225 318 सिरिमालि पहरिसिउ। 17 6 8. 318 श्रीमाली xxx तुष्टः। 12 231 VP. सिरिमालीण सहरिस। 12 103 319 दहमुह-पित्तिएणxxx। 319 कनकेन ततो भित्वा जयन्तो विरथीकृतः। मुसुमूरिउ महारहो कणय-पहरणेणं 17 7 1 श्रीमालिना॥ 12234 VP. सिरिमालीण xxx कणएणं विरहो कओ जयन्तो। 12 103 320 मुच्छा-विहलबलु उहिट। 177 3. 320 मूर्छायाश्च परित्यागादुत्थिते । 12 235 VP. मुच्छावस-वेम्भलो जाओ। 12 103 321 भीसण-मिण्डिवाल-पहरण-धरु, 321 आहत्य भिण्डिमालेन जयन्तेन ततः कृतः जाउहाण-रहु किउ सय-सकरु। 177 4 श्रीमालिविरथो रोषात् प्रहरणेन । 12 236 322 सुरवइ-णन्दणेण xxx गय भामवि ॥ 322 सुरराजस्य सूनुना स्तनान्तरे हतो गाढं भाहउ वच्छत्थले, पडिउ रसायलें ॥ गदया पतितो भुवि। 12 240 1779-10 VP. जयन्तेण xxx पहओ थणन्त रोवरि सिरिमालि गयप्पहारेणं । 12 104 323 सन्दण सन्दणेण संचूरइ, 323 हन्यते वाजिना वाजी वारणेन मताजः । गयवर गयवरेण मुसुमूरइ । तत्रस्थेन च तत्रस्थो रथेन ध्वस्यते रथः ॥ तुरउ तुरङ्गमेण विणिवायइ, 12264 णरवर परवर-घाएं घायह ॥ 1794-5, Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
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