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PAUNACARIU 263 ओसारि विमाणु दवत्ति देव, 263 निवर्तयाम्यतो देशाद् विमानं निर्विलम्बितम्। फुइ ण जाव।
13 2 9. xxx यावन्नायाति खण्डशः ।। 9 110. 264 तं माम-वयणु णिसुणेप्पिणु । 13 2 10. 264 श्रुत्वा मारीच-वचनम्। 9 111. 265 किं थम्भिउ विमाणु। 13 39. 265 विमानं स्तम्भ्यते मम। 9 131. 266 उम्मूलेंवि कइलासु जै सायर घिवमि। 266 कैलासनगमुन्मूल्य क्षिपाम्यब्धौ। 9 133.
13 3 10b. VP. एयं चिय पव्वयं xxx उम्मूलि
ऊण सयलं घत्तामि लहुं सलिलनाहे। 9 66. 267 तलु मिन्देवि पइट्ठ। 13 4 1b. 267 प्रविष्टो धरणी भित्वा। 9 135.
VP. भूमी भेत्तुं पविट्ठो। 967. 268 भासण-कम्पु जाउ पायालयले
268 चलित नागराजस्य विष्टर धरणश्रुतेः। धरणिन्दरायहौं। 13 6 1b.
9 191. 269 रेहह फणालि मणि-विप्फुरन्ति ॥ 269 स्फुरत्फणामणि । 9 192.
1369. 270 दहमुहु कुम्मागारु किउ । 13 6 10b. 270 बभूव संकुचद्गात्रो कूर्माकारो दशाननः ।
9151. 271 घोराराउ मेल्लिओ। 13 7 16. 271 रवं च सर्वयत्नेन कृत्वा रावितवान् जगत् ।
9152.
.VP. रवो कओ जेण तत्थ अइधोरो। 9 78. 272 भत्तार-भिक्ख महु देहि । 1379. 272 भर्तृभिक्षं मे प्रयन्छ। 9 157. 273 भच्छइ भत्तावण-सिलहिँ वालि 13 8 6. 273 आतापन-शिलापीठ-मस्तकस्थम् । 9 128. 274 परिअजेवि वन्दिउ दससिरेण, 274 प्रणम्य त्रिःप्रदक्षिणं । नितान्तं खं च
पुणु किय गरहण गग्गर-गिरेण। 13 87. निन्दित्वा सूत्कारमुखराननः ॥ 9 172. 275 जं तिहुवण-णाहु मुएप्पिणु,
275 जिनेन्द्र-चरणौ मुक्त्वा करोमि न नमस्कृति । अण्णहाँ णमिउ ण सिरकमलु। अन्यस्येति त्वयोक्तं यत् सामथ्र्यस्यास्य तत्फलम् । तं सम्मत्त-महदुमहाँ,
9160. लखु देव पइँ परम-फलु ॥ 13 8 10. VP. मोत्तण जिणवरिन्दं अन्नस्स न पणमिओ
तुमं जं से तस्सेय फलमउलं। 98. 276 कय पुज जिणिन्दहाँ। 1392.276 चक्रे जिनवरार्चनम्। 9 174.
VP. रएइ पूयं । 987b. 277 सत्ति अमोहविजय । 13 10 4. 277 अमोघविजयानाम शक्तिम् । 9 209.
VP. सत्ती अमोह विजया। 9101. 278 अथवणहों दुक्कु पयङ्गु ताम । 13 12 5. 278 ततोxxx जगामास्तं दिवाकरः। 10 52
VP. कमेण अत्थं चिय दिणयरो समल्लीणो 10 27. 279. 1433-10.
279 ददर्श नर्मदां फेनपटलैः सस्मितामिव शुद्ध
स्फटिकसंकाशसलिलां द्विपभूषितां ॥ तरंगभ्रूविलासाख्यामावर्तोत्तमनाभिकां विस्फुरच्छफरीनेत्रां पुलिनोरुकलत्रिकां ॥ नानापुष्पसमाकीर्णा विमलोदकवाससम् ।
1060-6200. VP.
1030-32.
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