SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 185
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 12 PAUMACARIU 153 कसु केरीxxx तुहुँ। 92 3a. 153 कस्याऽसि दुहिता बाले। 7 159a. 154 वोमविन्दु णिवइ । 154 व्योमविन्दोरहे सुता । कैकसीति भवत्सेवा हउँ तासु धूय xxxकइकसि णामेंxxu कतु पित्रा निरूपिता ॥ 7162 गुरु-वयणेहि माणिय एउ वणु। . तउ दिण्णी ॥ 946-6 155 भट्टङ्गणणिमित्तइँ जाणऍण, 155 ततोऽष्टाङ्गनिमित्तज्ञःxx रमश्रवाः वुश्चइ रयणासव-राणऍण ॥ 932 x xxव्यवृणोत् । 7 185 VP. अहङ्गानिमित्तधरोxx नेमित्तिओ ॥780 156 होसन्ति पुत्त तउ तिणि । 93 3a. 156 उत्पत्स्यन्ते त्रयः पुत्राः। .7 186a. VP. होहिन्ति तिणि पुत्ता। 78la. 1.57 जो परिपालिजइ पण्णऍहिँ। 9 4 3a. 157 नागेन्द्रकृतरक्षण। 7219a. VP. नागसहस्सेणं चिय जो सो रक्खिजइ। 795. 158 दहमुहु दहसिरु जणेण किउ । 94 9b. 158 यातोऽसौ तद्दशाननसं ताम्। 7 222b. VP. कयं दहमुहो नाम। 796. 159 आणन्दें कहि मि ण माइयई। 9 5 2b. 159 VP. न मायइ नियगेसु अङ्गेसु 17 154. 160 परिचिन्तिउ णउ सामण्णु गरु । 9 5 5a. 160 महानेष नरः कोऽपि भवितेति व्यचिन्तयत् । 7218b. VP. चिन्तेइ तो मणेणं होहिइ एसो महापुरिसो। 794. 161 णहें जन्तउ पेक्छेवि वइसवणु, ___161 (a) वैश्रवणं वीक्ष्यांचवे। 7233b.. पुणु पुच्छिय जणणि 'एहु कवणु'1958b. (b)xx पप्रच्छेति स मातरम्। 7 234. (c) अम्ब कोऽयम् ॥ 7235a. 162 (a) त णिसुर्णेवि xx वजरित। 162 ततः साऽकथयत्तस्य मातृखत्रीय एष ते। xx1961 72364. (b) इहु भाइ तुहारउ वइसवणु। 9 63b. 163 कमागय। 96 4b. 163 कुलकमायाताम् । 7238a 164 कइयहुँ माणेसहुँ राय-सिय। 9 6 50. 164 लक्ष्मी कदा तु त्वं प्राप्स्यसि ॥ 7 241a. 165 गय विणि वि भीसणु भीम-वणु। 9 7 16. 165 (a) प्राप्त xx भीमं नाम महावनम् । 7257a. (b) सुभीषणम् । .7259b. 166 जाहिँ णीसामन्तेहिं अययरहि, 166 सुप्ताजगरनिःश्वासप्रेसितोदारपादपैः । डोल्लन्ति डाल सहुँ तस्वेरेंहि । 97 38. 7 258a. 167 जा भटक्स्वहिं पसिद्धि गय। 97 6a. 167 विद्याश्चाष्टाक्षरी। 7264a. 168 सम्व-कामण्ण-रूय। 97 66. 168 सर्वकामानदा । 7264b. VP. सव्वकामा। 7 107b. 169 पुणु झाइय सोलह-अक्खरिय, 169 ततो जपितुमारब्धाः सुचिताः षोडषाक्षरम्। जय (?) कोडि-सहास-दहोत्तरिय ॥ मन्त्र-कोटि-सहस्राणि यस्यावृत्तिर्दशोदिताः 7266 VP.जविऊण समाढत्ता विजा वि हु सोलसक्खर निबद्धा। दह-काडि-सहस्साई जीसे मन्ताण परिवारो॥ 7 108. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002523
Book TitlePaumchariu Part 1
Original Sutra AuthorSwayambhudev
AuthorH C Bhayani
PublisherZZZ Unknown
Publication Year1953
Total Pages458
LanguageSanskrit, English
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy