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PAUMACARIU
Colophon of the 17. Sandhi: 10. इय चारु-पउमचरिए, धणजयासिय-सयम्भुएव-कए।
जाणह 'रावणविजयं' . सत्तारहम इमं पव्वं ।। Colophon of the 18. Sandhi: 11. इय रामएवचरिए
धणजयासिय-सयम्भुएव-कए। 'पवणञ्जणाविवाहो' अट्ठारहम इमं पव्वं ।।
Colophon of the 20. Sandhi: 12. इय 'विज्जाहरकण्ड वीसहिँ आसासएहि मे सिटें।
एण्हि ‘उज्झाकण्डं' साहिज्जन्तं णिसामेह ॥ 13. धुअरायधोव तइलुअ पणत्ति णत्ती सुयाणु पाढेण (?) ।
णामेण साऽमिअव्वा सयम्भु-घरिणी महासत्ता॥ 14. तीए लिहावियमिणं वीसहिं आसासएहि पडिवद्धं ।
'सिरि-विज्जाहर-कण्डं' कण्डं पिव कामएवस्स।।
Colophon of the 42. Sandhi: 15. अउज्झा-कण्डं समत्तं।
आइच्चुएवि-पडिमोवमाएँ आइच्चम्वि (य णा)माए। वीअमउज्झा-कण्ड
सयम्भु-धरिणीऍ लेहवियं ॥
Colophon of the 56. Sandhi:
16. सुन्दर-कण्डं समत्तं । Colophon of the 77. Sandhi: 17. जज्झकण्डं समाप्तं॥
उत्तरकाण्डं आरभ्यते॥ सिरि-मुणि सुव्वय-तित्थं णमामि ॥ जुज्झकण्डं णिसामेह ।।
Colophon of the 78. Sandhi:
18. जुज्झकण्डं समत्तं । ज्येष्ठ वदि १ सोमे ।। Colophon of the 83. Sandhi: 19. इय पउमचरिय-सेसे सयम्भुएवस्स कह-वि उव्वरिए ।
तिहुवण-सयम्भु-रइयं समाणियं सीय-दीव-पव्वमिणं ।। 20. वन्दइआसिय-तिहुअण-सयम्भु-कइ-कहिय-पोमचरियस्स।
सेसे भुवण-पगासे तेआसीमो इमो सग्गो॥ 21. कइरायस्स विजय-सेसियस्स वित्थारिओ जसो भवणे ।
तिहुअण-सयम्भुणा पोमचरिय-सेसेण णिस्सेसो । Colophon of the 84. Sandhi: 22. इय पउमचरिय-सेसे सयम्भुएवस्स कह-वि उव्वरिए।
तिहुअण-सयम्भु-रइए स-परियण-हलीस-भव-कहणं ।। 28. इय रामएव-चरिए वन्दइ-आसिय-सयम्भु-सुअ-रइए ।
बुहयण-मण-सुह-जणणो चउरासीमो इमो सम्गो॥
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