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* प्रकाशकीय निवेदन *
भानन्द की वर्षा भाज हमारे हृदय प्रांगण में बरस रही है जिसको शब्दों से हम कैसे व्यक्त करें !!
प. प. भागमोबारक भाचार्य भी सागरानन्द सूरिमहाराज संपादित एवं नागमोदय समिति द्वारा पूर्व प्रकाशित पहासमक्य तमिमानकर वर्षों से मुमुक्षुषों और नये ज्ञानभंडारों के लिये प्राणाया। कई शुभेच्छकों की यह प्रार्थना भी थीनया कुछ संशोधन न हो सके तो भी उसी रूप में उसका पुनर्मुद्रण हो जाय ।
सिद्धान्तमहोदधि स्व. पूज्यपाद भाचार्यदेव श्रीमद् विजय प्रेमसूरीश्वरजी महाराज के पट्टधर न्यायविशारद प.पू. आचार्य श्रीमद् विजय भुवनभानुसूरीश्वरजी महाराज एवं मापके प्रशिष्यरस्न प.पू. मागममर्मज्ञ पं. श्रीमद् जयघोषविजय महाराज की बार बार पुनीत प्रेरणा प्राप्त होने पर हम इस महाप्रन्थ को प्रकाशित करने के लिये समर्थ बनें । प.पू.१. श्री दौलतसागर महाराज की ओर से एक संशोधित मूल्यवान् प्रत हमें प्रकाशनार्थ प्राप्त हुयी, उसके माधार पर किये गये संशोधन के साथ इस ग्रन्थ का प्रकाशन हो सका एतदर्थ हम उनके प्रति कृतज्ञ है।
'भावश्यकनियुक्ति' शास भनेक ज्ञातव्य पदार्थ राशि से भरपूर है । जैनदर्शन में यह मृर्धन्य कोटि का ग्रन्थ है। नियुक्तिकार श्रुतकेवली श्रीमद् भववाहुस्वामी एवं प्रौट टीकाकार श्रीमद् हरिभवसूरिका अध्येतावर्ग पर अमिट उपकार है जिसको कृतन जैन संघ कभी विसर नहीं सकता। एवं इस ग्रन्थप्रकाशन में सायन्त संलग्न मुनिराज श्री पद्मसेन श्री विजय महाराज व मुनिराज भी जयसुंदर विजयजी का सहयोग मिला-इनके प्रति हम कृतज्ञ है।
भा.२ का फोटो मुद्रण करनेवाले I. B. C. S. पुत्रं दिलचस्पी के साथ अनेकविध मानव सहायता करनेवाले श्री मोहनभाई जे. शहा [कोट-मुम्बई के हम बडे भाभारी है।
हमारे ट्रस्ट के ज्ञाननिधिद्रव्य में से प्रकाशित यह उत्तम ग्रन्थरन सुविहित माचार्य भगवंतो, मुनिगण एवं मुमुक्षु मध्येता वर्ग के कर कमल में सादर समर्पित करते हैं।
प्रकाशक
ट्रस्टीगण भेरुलाल कनैयालाल कोठारी धार्मिक ट्रस्ट,
बालकेश्वर-मुम्बई-४०००००
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