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विष या नु क म णि का 1. PREFÁCE BY D. D. KOSAMBI 2. किश्चित् प्रास्ताविक-मुनि जिनविजय 3. भारतीय विद्याग्रन्थावलिमें प्रकाशित 'भर्तृहरिशतकत्रयम्' का प्रधान
संपादकीय स्वल्प वक्तव्य-मुनि जिनविजय 4. सिंघी जैन ग्रन्थमालामें, २३ वें मणिके रूपमें प्रकाशित 'शतकत्रयादि
सुभाषितसंग्रह' का प्रधान संपादकीय वक्तव्य-मुनि जिनविजय १३ १ धनसारगणिकृत व्याख्यायुक्त नीतिशक
पृ. १-४० २ ,
शृङ्गारशतक
" ४१-८० , वैराग्यशतक,
८१-१२७ ४ परिशिष्ट-शतकत्रयशेषकाव्यटीका
१२८-१४६ ५ श्लोकानामकारादिक्रमेण अनुक्रमः
१४७-१५२
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