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________________ ६६ पन्ना परिशिष्टम। विभागः गाथा विभागः गाथा ३ ३२१३ १ ४८६ १००१ १२२३ १३८७ ३ २८३९ -rrrram Favorror गाथा जति दोणि तो णि वे दिन जति दोसो तं विंदति जति ने तो पुणरवि जति परो पडिसेविजा | " जति पुण सो दि वरिजेज जति मं जागह सामि जति रिक्को तो दवमत्तजति या ण णिवहेजा जति वि य तिट्टाणकयं गाथा जइ वा सम्वनिसेही जइ वा हत्थुवघाओ जइ वि अणंतर खेत्तं जइ वि निबंधो सुत्ते जइ वि पगासोऽहिगओ जइ वि य उप्पजते जइ वि य न प्पडिसिद्ध जइ वि य पिपीलियाई जइ वि य पुवममत्तं जइ वि य फासुगदवं जइ वि य भूयाबादे जइ बि य महत्वयाई जइ वि य वत्थू हीणा जइ वि य सनाममिव परिजइ वि य होज वियारो जइ वि हु सम्मुप्पाओ जइ स चेव य इत्थी जइ समगं दो वइगा जइ सव्वं वि य नाम जइ सच्चे गीयत्था जइ संजमो जइ तवो जइ सीसम्मि ण पुंछति जह से हवेज सत्ती जइ होहिति बहुगाणं १ ७४ ३ ३२८६ ५ ५३१० ६ ६२८४ १ २२ टि०३ ४९४७ ५. ५३४५ २८६३ ४ ३८५५ जति सब्बसो अभावो १ २०६। जति सवं उहिसि २ १३४० । जति सिं कजसमत्ती जत्तियमित्ता वारा जत्तिय मेत्ता वारा जत्तो दिसाए गामो जत्तो दुस्सीला खलु जत्तो पाए खेत्तं जत्थ अचित्ता पुढवी . २ २०११ जत्थ अपुरोसरणं २ २०६५ २ १५३० ५. ५६५० ११९५ mmccwwwc १६६७ ४२२८ टि.५ जत्थ उ जणेण णातं जत्थ उ देसग्गहणं जस्थऽपतरा दोसा जस्थऽप्पयरा दोसा जत्थ मई ओगाहइ जस्थऽम्हे पासामो जत्थऽम्हे वचामो ३३२५ २२७६ ૨૩૨૨ २३२ २ १३०५ जक्खो चिय होइ तरो जच्चाई हिं अवन्नं जच्चेव य जिणकप्पे जडत्तणेण हंदि जडादी तेरिच्छे जड्डे खग्गे महि से जड्डे महिसे चारी जड्डो जं वा तं वा जणरहिए वुजाणे जणलावो परगामे जति एयविप्पहूणा romar or orammar - टि.२ ६ ६२०४ ३ २९२३ १५८९ १५९० ३ २५९१ ५ ५२९५ ५ ५२८० ५ ५३०४] जस्थ य नस्थि तिणाई जत्य वि य गंतुकामा जत्थ विसेसं जाणंति जत्थाहिबई सूरो जत्थुप्पजति दोसो जमिदं नाणं इंदो जमियं पगयं नाणं ३ २९१० २ २०५६ ५ ५०११ जति ताव लोइय गुरुस्स जति दिवसे संचिक्खति टि.१ १२२७ ५ ५५५६ । जम्मणनिक्खमणसु य २ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002515
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages424
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size20 MB
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