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बृहत्कल्पसूत्र षष्ठ विभागनो विषयानुक्रम ।
पत्र
६३४९
गाथा
विषय ६३४९-६४९० कल्पस्थितिप्रकृत सूत्र २०. १६७६-१७०७
साधुओना छ कल्पो कल्पस्थितिप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथे संबंध
१६७६ कल्पस्थितिसूत्रनी व्याख्या ६३५०-६४९० कल्पस्थितिसूत्रनी विस्तृत व्याख्या
१६७७-१७०७ ६३५०-५६ 'कल्प' अने स्थिति' पदनी व्याख्या
१६७७-७८ ६३५७ पविध कल्पस्थिति
१६७८ ६३५८-६२ १ सामायिककल्पस्थितिनुं निरूपण १६७८-७९ ६३६३-६४४६ २ छेदोपस्थापनीयकल्पस्थितिनुं निरूपण १६८०-९७
छेदोपस्थापनीयसंयतनी कल्पस्थितिनां दश स्थित स्थानो
१६८० ६३६५-७४ १ आचेलक्यकल्पद्वार
१६८०-८२ अचेलकनुं स्वरूप, तीर्थकरोने आश्री अचेलक-सचेलकपणानो विभाग, वस्रोनुं स्वरूप, वस्त्र धारण करवाना विधिविपर्या
सने लगतां प्रायश्चित्तो ६३७५-७७ २ औदेशिककल्पद्वार
१६८२-८३ ६३७८-८० ३ शय्यातरपिण्डकल्पद्वार
१६८३-८४ ६३८१-९७ ४ राजपिण्डकल्पद्वार
१६८४-८७ ६३८१ राजपिण्डकल्पविषयक द्वारगाथा
१६८४ ६३८२-८३ राजानुं स्वरूप
१६८४ ६३८४ आठ प्रकारनो राजपिण्ड
१६८४ ६३८५-९५ राजपिण्ड लेवाने लगता दोषो
१६८५-८६ राजपिण्ड ग्रहण करवाने लगतो अपवाद अने यतना
१६८७ ६३९८-६४०१ ५ कृतिकर्मकल्पद्वार
१६८७ निम्रन्थ-निर्ग्रन्थी आश्री वन्दनव्यवहार
विषयक कल्प ६४०२-७ ६ व्रतकल्पद्वार
१६८८-८९ चोवीस तीर्थकरोना निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीने आश्री पंचवतात्मक अने चतुर्वतात्मक धर्मनी
व्यवस्था अने तेनां कारणो ६४०८-२४ ७ ज्येष्ठकल्पद्वार
१६८९-९२
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