SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 105
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १०२ बृहत्कल्पसूत्र षष्ठ विभागनो विषयानुक्रम । पत्र ६३४९ गाथा विषय ६३४९-६४९० कल्पस्थितिप्रकृत सूत्र २०. १६७६-१७०७ साधुओना छ कल्पो कल्पस्थितिप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथे संबंध १६७६ कल्पस्थितिसूत्रनी व्याख्या ६३५०-६४९० कल्पस्थितिसूत्रनी विस्तृत व्याख्या १६७७-१७०७ ६३५०-५६ 'कल्प' अने स्थिति' पदनी व्याख्या १६७७-७८ ६३५७ पविध कल्पस्थिति १६७८ ६३५८-६२ १ सामायिककल्पस्थितिनुं निरूपण १६७८-७९ ६३६३-६४४६ २ छेदोपस्थापनीयकल्पस्थितिनुं निरूपण १६८०-९७ छेदोपस्थापनीयसंयतनी कल्पस्थितिनां दश स्थित स्थानो १६८० ६३६५-७४ १ आचेलक्यकल्पद्वार १६८०-८२ अचेलकनुं स्वरूप, तीर्थकरोने आश्री अचेलक-सचेलकपणानो विभाग, वस्रोनुं स्वरूप, वस्त्र धारण करवाना विधिविपर्या सने लगतां प्रायश्चित्तो ६३७५-७७ २ औदेशिककल्पद्वार १६८२-८३ ६३७८-८० ३ शय्यातरपिण्डकल्पद्वार १६८३-८४ ६३८१-९७ ४ राजपिण्डकल्पद्वार १६८४-८७ ६३८१ राजपिण्डकल्पविषयक द्वारगाथा १६८४ ६३८२-८३ राजानुं स्वरूप १६८४ ६३८४ आठ प्रकारनो राजपिण्ड १६८४ ६३८५-९५ राजपिण्ड लेवाने लगता दोषो १६८५-८६ राजपिण्ड ग्रहण करवाने लगतो अपवाद अने यतना १६८७ ६३९८-६४०१ ५ कृतिकर्मकल्पद्वार १६८७ निम्रन्थ-निर्ग्रन्थी आश्री वन्दनव्यवहार विषयक कल्प ६४०२-७ ६ व्रतकल्पद्वार १६८८-८९ चोवीस तीर्थकरोना निर्ग्रन्थ-निर्ग्रन्थीने आश्री पंचवतात्मक अने चतुर्वतात्मक धर्मनी व्यवस्था अने तेनां कारणो ६४०८-२४ ७ ज्येष्ठकल्पद्वार १६८९-९२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002515
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages424
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy