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________________ पत्र गाथा ६२७९-८० १६५७ १०१ बृहत्कल्पसूत्र षष्ठ विभागनो विषयानुक्रम । विषय १६ सप्रायश्चित्तासूत्र सप्रायश्चित्तासूत्रनो पूर्वसूत्र साथे संबंध अने तेने लगती यतना १७ भक्तपानप्रत्याख्यातासूत्र भक्तपानप्रत्याख्यातासूत्रनो पूर्वसूत्र साथे संबंध भक्तपानप्रत्याख्यातासूत्रनी व्याख्या १८ अर्थजातासूत्र अर्थजातासूत्रनो पूर्वसूत्र साथे संबंध अर्थजातासूत्रनी विस्तृत व्याख्या अर्थजाताने छोडाववाना उपायो, यतना वगेरे ६२८१-८४ ६२८१ १६५७-५८ १६५८ १६५८ ६२८२-८४ ६२८५-६३१० ६२८५ ६२८६-६३१० १६५९-६५ १६६६-७६ ६३११-१३ ६३१४-४८ ६३१४-१६ ६३१७-२० १६६७ १६६७-७६ १६६७-६८ परिमन्थप्रकृत सूत्र १९ साध्वाचारना छ परिमन्थो-व्याघातो परिमन्थप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथे संबंध परिमन्थसूत्रनी व्याख्या परिमन्थसूत्रनी विस्तृत व्याख्या परिमन्थपदना निक्षेपो कौकुचिक, मौखरिक, चक्षुर्लोल अने तितिणिक पदनी व्याख्या, भेद, प्रायश्चित्त अने दोषो स्थानकौकुचिकनुं स्वरूप अने तेने लगता दोषो शरीरकौकुचिकनुं स्वरूप भाषाकौकुचिकनुं स्वरूप, तेने लगता दोषो अने ते अंगे श्रेष्ठी, मृत अने सुप्तनां दृष्टान्तो मौखरिकनुं स्वरूप, दोषो अने तेने लगतुं लेखहारकनुं दृष्टान्त चक्षुर्लोलनुं स्वरूप, दोष आदि तिन्तिणिकनुं स्वरूप साध्वाचारना छ परिमन्थने लगता अपवाद आदि १६६८-६९ १६६९ १६६९ ६३२१-२२ ६३२३ ६३२४-२६ १६७० ६३२७-२८ १६७१ १६७१ ६३२९-३१ ६३३२-३४ ६३३५-४८ १६७२ १६७२-७६ Jain Education International Fore v ermometeroily www.jainelibrary.org
SR No.002515
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 06
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages424
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size20 MB
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