SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 23
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ २० गाथा ३४८४- ३५०९ ३४८४-८५ ३४८६-९८ ३५०३ ३४९९-३५०२ विकटगृह अने वंशीमूलनी व्याख्या अने त्यां रहेaret निर्मन्थीओने लागता दोषो ३५०४-९ ३५१०-१७ ३५१०-१७ ३५१८-३६१५ ३५१८-८४ ३५१८ ३५१९-८४ ३५१९-२० बृहत्कल्पसूत्र चतुर्थ विभागनो विपयानुक्रम । विषय ११ अगीआरमुं उपाश्रयसूत्र आगमनगृह, विकटगृह, वंशीमूल, वृक्षमूल अथवा raraatani निर्ग्रन्थीओने रहेवुं कल्पे नहि Jain Education International अगीआरमा उपाश्रयसूत्रनी व्याख्या निर्ग्रन्थीओने आगमनगृह, विकटगृह, वंशीमूल आदिमा रहेवाथी लागतां प्रायश्चित्तो आगमनगृहनी व्याख्या अने त्यां वसवाथी निर्ग्रन्थीओने लागता विविध दोषो अने प्रायश्चित्तादि वृक्षमूल अने अभ्रावकाशमां वसवाथी निर्ग्रन्थीओने लागता दोषो अपवादपदे निर्मन्थीओने आगमनगृहादिमां वसवाने लगतो विधि १२ बारमुं उपाश्रयसूत्र निर्ग्रन्थोने आगमनगृह आदिमा रहेवुं कल्पे निर्मन्थोने रहेवा लायक आगमनगृहादिनुं स्वरूप अने त्यां रहेवानो विधि सागारिकपारिहारिकप्रकृत सूत्र १३-१६ १३ पहेलुं सागारिकपारिहारिक सूत्र वसतिना एक अथवा अनेक सागारिकना आहारादिकना त्यागनो विधि सागारिकपारिहारिक प्रकृतनो पूर्वसूत्र साथै संबंध पहेला सागारिकपारिहारिकसूत्रनी व्याख्या पहेला सागारिकपारिहारिक सूत्रनी विस्तृत व्याख्या पहेला सागारिकपारिहारिकसूत्रनी विस्तृत व्याख्या विषयक द्वारगाथा For Private & Personal Use Only पन ९७२-७७ ९७२ ९७२ ९७३-७५ ९७५-७६ ९७६ ९७६-७७ ९७७-७९ ९७८-७९ ९८० - १००४ ९८०-९६ ९८० ९८० ९८०-९६ ९८० www.jainelibrary.org
SR No.002513
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 04
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages444
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size24 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy