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________________ ३६ बृहत्कल्पसूत्र तृतीय विभागनो विषयानुक्रम । गाथा पत्र ___ गाथा २८२२-२९ विषय निग्रंथीओए वस्त्रग्रहणमाटे वर्जनीय अवर्जनीय स्थानो अने तेमणे वस्त्र वापरवामाटेनो विधि लाभ-हानिसूचक वस्त्रोनी परीक्षा अने शुभाशुभ फळनो निर्देश ७९८-९९ २८३०-३५ ७९९-८०१ ८०१-३९ ८०१-२८ ८०१ ८०१ ८०२ ८०२ २८३६-२९६८ रात्रिभक्तप्रकृत सूत्र ४२-४३ २८३६-२९२३ ४२ पहेलुं रात्रिभक्तसूत्र निम्रन्थ-निर्ग्रन्थीओने रात्रिमा के विकाळ वेळाए अशन-पानादि ग्रहण करवू कल्पे नहि २८३६-३७ रात्रिभक्तप्रकृतनो पूर्वसूत्र साथे सम्बन्ध पहेला रात्रिभक्तसूत्रनी व्याख्या २८३८ 'रात्रि' अने 'विकाल' पदनी व्याख्या अने तद्विष यक इतर आचार्योना मतो २८३९-४० पंचमहाव्रत के भिक्षाचर्याना बेंतालीस दोषोमां रात्रिभक्तग्रहणनो निषेध नहि होवा छतां अहीं तेनो निषेध केम करवामां आवे छे ए शंकानुं समाधान २८४१-४८ रात्रिमा भक्त ग्रहण करवाथी लागता आज्ञा, अन वस्था, मिथ्यात्व, संयमात्मविराधनादि दोषो तथा प्राणवध, महाव्रतादि विषयक शंकादि दोषो [गाथा २८४१–रात्रिभक्त ग्रहण करवाथी मिथ्यात्वगमनदोषविषये भिक्षुर्नु दृष्टान्त ] २८४९-७१ रात्रिभोजनविषयक 'दिवा गृहीतं दिवा भुक्तम् , दिवा गृहीतं रात्रौ भुक्तम्' इत्यादि चतुर्भगी, तेनुं विस्तृत स्वरूप अने तेने लगतां सामान्य प्रायश्चित्तो तथा नौसंस्थित प्रायश्चित्तो अर्थात् प्रायश्चित्तोनी चार चार नावाओ २८७२-२९२३ रात्रिभक्तग्रहणने लगतां आपवा दिक कारणो २८७२ रात्रिभक्तग्रहणने लगता अपवादपदवर्णनविषयक द्वारगाथा ८०२-५ ८०५-१४ ८१४-२८ ८१४ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002512
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 03
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages364
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size19 MB
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