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________________ १२ ॥ अहम् ॥ वृहत्कल्पसूत्र द्वितीय विभागनो विषयानुक्रम । प्रथम उद्देश। गाथा पत्र २५५-३४० २५५ २५६-३१५ २५६-५७ २५७-६० २५७-५८ विषय ८०६-१०८५ १ प्रलम्बप्रकृत सूत्र १-५ अनुगमद्वार ८०६-१००० प्रलम्बसूत्र १ लं निर्ग्रन्थ-निर्माओमाटे ताल अने प्रलंब लेबानो निषेध प्रलम्बसूत्रनो संहिता, पद आदि विधिथी शब्दार्थ प्रथम प्रलम्बसूत्रनी संक्षिप्त व्याख्या 'नो' शब्द अने 'निम्रन्थ' शब्दनी व्याख्या [गाथा ८०७-तालप्रलम्बने अंगे अपवाद.] ८०९-१४ प्रथम प्रलम्बसूत्र 'नो'शब्दथी शरु थतुं होई अमं गलरूप होवाने कारणे प्रस्तुत सम्पूर्ण शास्त्र पण अमंगलरूप थई जाय छे ए प्रकारनी शिष्यनी शंका अने तेनुं समाधान ८१५-६२ प्रलम्बसूत्रनी विस्तृत व्याख्या ८१५ प्रलम्बसूत्रनी व्याख्यामाटे द्वारगाथा ८१६-२२ १ आदिनकार द्वार 'अ'कार 'मा'कार 'न'कार अने 'नो'कार द्वारा पदार्थनो निषेध करवामां अर्थनो फरक, ए फरक बताववामाटेनां उदाहरणो अने प्रस्तुत प्रथम प्रल म्बसूत्रमा रहेला 'नो' पदना अर्थनी संगति ८२३-३८ २ ग्रन्थद्वार ८२३-२४ 'ग्रन्थ' पदनी व्याख्या ८२५-३० क्षेत्र १ वास्तु २ धन ३ धान्य ४ संचय ५ मित्र ज्ञातिसंयोग ६ यान ७ शयन-आसन ८ दासी-दास ९ कुप्य १० ए दश प्रकारनो बाह्य ग्रन्थ अने तेनुं स्वरूप २५८-६० २६१-७५ २६१ २६१-६२ २६३-६७
SR No.002511
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 02
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages400
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size21 MB
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