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________________ १० प्रासंगिक निवेदन । xeccccecor . प्रस्तुत नियुक्ति-भाग्य-वृत्तिसहित वृहत्कल्पसूत्रना वीजा विभागना संशोधनमाटे अमे ते ज अने तेटली ज हस्तलिखित प्रतिओ कामे लीधी छे जे अने जेटली प्रतिओ पीठिका विभागना संशोधनमां कामे लीधी छे । ए प्रतिओनो विस्तृत परिचय पीठिका विभागमा (मुद्रित प्रथम विभागमां) आप्या पछी आ विभागमा पुनः ए प्रतिओनो परिचय आपवानी आवश्यकता रहेती नथी । मात्र पीठिकाविभागना 'लिखित प्रतिओनो परिचय'मां नियुक्ति-भाग्य-वृत्तिसहित बृहकल्पसूत्रना खंडो-विभागोना संबंधमां अमे जणाव्युं छे के "पाटण खंभात लींबडी जेसलमेर आदिना भंडारोमांनी ताडपत्र उपर लखाएल प्रतिओ त्रण खंडमां अने कागळ उपर लखाएल प्रतिओ चार खंडमां लखाएल नजरे पडे छ” आ संबंधमां अमारे अहीं मात्र एटलुं ज उमेरवानुं छे के चालु बृहत्कल्पसूत्रनी ताडपत्रीय प्रतिओनी जेम केटलीक वार कागळनी प्रतिओ पण त्रण खंडमां लखाएली जोवामां आवे छे अने ए रीते अमारा पासे पाटण-भाभाना पाडाना भंडारनी कागळनी जे प्रति छे ए त्रण खंडमां लखाएली छे । __ प्रतिओना खंडो केटलीक वार पुस्तक लखनार-लखावनारनी गफलतने लीधे अनियत रीते लखाएला जोवामां आवे छे । दाखला तरीके दरेक हस्तलिखित प्रतोमा प्रथमखंडनी समाप्ति मासकल्पप्रकृतनी पूर्णता थाय छे त्यां थाय छे ज्यारे भाभाना पाडानी प्रतिमा २०५० गाथाना अवतरण पछी थाय छे (जुओ मुद्रित विभाग पत्र ५९३ पंक्ति २ अने टिप्पणी १) । आ ठेकाणे खंडनी समाति थवी ए मात्र लखनार-लखावनारनी गफलतनुं ज परिणाम छे । कारण के ते पछी थोडे ज अंतरे मासकल्पप्रकृतनी समाप्ति थाय छे । मुद्रित प्रथम विभागमा पीठिकानो समावेश करवामां आव्यो छे अने ते पछीना आ वीजा विभागमा प्रथम उद्देशनी शरुआत थाय छे । ए उद्देशनां वे प्रकृतोनो-प्रकरणोनो अर्थात् 'प्रलंबप्रकृत' अने 'मासकल्पप्रकृत'नो आ विभागमा समावेश थाय छे । प्रथम उद्देशनां एकंदर पचास सूत्रो छे ए. पैकीनां नव सूत्रोनो ज मात्र आ विभागमा समावेश थयो छे । आ पछीना मुद्रित त्रीजा विभागमा प्रथम उद्देश समान थइ चूक्यो छे । ___आ विभागमा प्रलंबप्रकृत अने मासकल्पप्रकृत ए वे विभागो पाडवामां आव्या छे ए अमे पाड्या नथी परंतु भाष्यकार-चूर्णीकारना जमानाना ए विभागो छ। प्रतिओनी समविषमता-पीठिकाविभागमा प्रतिओनो परिचय आपतां अमे जणाव्युं छे के "कां० प्रति मो० ले० प्रतिओनी साथे समानता धरावे छे" परंतु अमे जेम जेम आगल चाल्या तेम तेम कां० प्रति घणी खरी वार वधीये प्रतिओथी जुदी पडी गई छे । अमने लागे छे के कां० प्रतिनो आदर्श जे प्रति उपरथी थयो छे तेमां गमे तेणे
SR No.002511
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 02
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages400
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size21 MB
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