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बृहत्कल्पसूत्रनी पीठिकानो विषयानुक्रम ।
गाथा
विषय क्षायोपशमिक सम्यक्त्व वेदक सम्यक्त्व क्षायिक सम्यत्त्व
१३० १३१
१३२ सम्यक्श्रुत अने मिथ्याश्रुतनो विभाग १३३-३४ सम्यग्दर्शन अने सम्यग्ज्ञाननो विशेष १३५-३९ सादिश्रुत अने अनादिश्रुत १४०-४२ सपर्यवसितश्रुत अने अपर्यवसितश्रुत १४३
गमिकश्रुत अने अगमिकश्रुत १४४-४६ अंगश्रुत अने अंगवाह्य श्रुत
[ दृष्टिवादना अध्ययन माटे स्त्रीओनु अनधिकारिपणुं अने तेनां कारणो. पत्र ४४-४५ टिप्पणमां-पांच सो आदेश पैकीना
केटलाएक आदेशोनो संग्रह ]
४२
४१ ४२-४३ ४३-४४
४४ ४४-४६
१४९-८०५ अनुयोगाधिकार
४६-२५४ १४९ अनुयोगाधिकार द्वारगाथा १५०-७२ १निक्षेपद्वार
४७-५८ १५० निक्षेपना एकार्थिक शब्दो
४७ १५१-५२ अनुयोगनो सात प्रकारे निक्षेप अने तेना भेदो
४७ १५३-६८ द्रव्यानुयोग, क्षेत्रानुयोग, कालानुयोग, वचनानुयोग अने भावानुयोगर्नु खरूप
४७-५१ [गाथा १६०-६१ -पृथ्वीजीवोनुं परिमाण.
१६४–लिङ्गत्रिक वचनत्रिक इत्यादि सोळ प्रकारनां वचनो] १६९-७० द्रव्यादि निक्षेपोनो एक बीजामां समवतार-समावेश ५१-५२ १७१-७२ द्रव्यादिना अनुयोग अने अननुयोग विषयक . दृष्टान्तो
५२-५८ १७१ १ द्रव्यना अनुयोग अने अननुयोग विषये वत्स-गोणी--
वाछरडुं अने गायनुं उदाहरण २ क्षेत्रना अनुयोग अने अननुयोग विषये कुब्जानुं उदाहरण ३ कालना अननुयोग अने अनुयोग विषये स्वाध्यायन
उदाहरण
५३
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