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बृहत्कल्पसूत्रनी पीठिकानो विषयानुक्रम ।
गाथा
पत्र
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विषय ग्रन्थना आदि मध्य अने अंतमां मंगल करवामां शिष्ये देखा
डेल विप्रतिपत्ति अने तेनुं समाधान मंगल करवामां शिष्ये बतावेल अनवस्थादोष अने तेनुं समाधान
११-४६ ११-१२
१२-१३
१४-१५
१५-१६
२४-१४८ २ नन्दी-ज्ञानपञ्चक २४ 'नन्दी' पदना निक्षेपो
[ बार प्रकारनां वादित्रो] २५ प्रत्यक्ष अने परोक्षनुं लक्षण २६-२७ वैशेषिकादिकोए खीकारेल प्रत्यक्षना लक्षणमां दूषण २८ इन्द्रियथी थतुं लैङ्गिकज्ञान २९-३० प्रत्यक्ष अने परोक्षनी व्याख्या अने तेना भेदो
अवधिज्ञान
द्रव्य क्षेत्र काल भावथी अवधिज्ञान- खरूप ३५-३६
मनापर्यवज्ञान ३७-३८
केवलज्ञान ३९-४०
आभिनिबोधिकज्ञान ४१-१४७
श्रुतज्ञान ४१-४२ श्रुतज्ञान- लक्षण अने तेना भेदो
अक्षरश्रुतनुं स्वरूप ४४ पूर्वार्ध संज्ञाक्षरनुं स्वरूप ४४ उ०-४५ लब्ध्यक्षरनुं स्वरूप अने तेना भेदो ४६-५३ अत्यन्तानुपलब्धि, सामान्यानुपलब्धि अने विस्मृत्यनुपलब्धि
ए त्रण अनुपलब्धिमुं तथा सादृश्यत उपलब्धि, विपक्षत उपलब्धि, उभयधर्मदर्शनत उपलब्धि, औपम्यत उपलब्धि
अने आगमत उपलब्धि ए पांच उपलब्धिमुं खरूप ५४ पांच उपलब्धिओ संज्ञीने होय छे अने त्रण अनुपलब्धिओ
असंज्ञिने होय छे ५५-१७ व्यञ्जनाक्षरनुं स्वरूप अने तेना जुदी जुदी रीते वे वे
प्रकारो ५८-५९ व्यञ्जनाक्षरनुं अभिधेयथी भिन्नाभिन्नपणुं ६०-६४ व्यञ्जनाक्षरना स्व-परपर्यायो अने तेमनुं परस्पर संवद्धासंबद्धपणुं
१६-२६
१९-२०
२० २१-२२
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