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________________ बृहत्कल्पसूत्रनी पीठिकानो विषयानुक्रम । गाथा पत्र २२ विषय ग्रन्थना आदि मध्य अने अंतमां मंगल करवामां शिष्ये देखा डेल विप्रतिपत्ति अने तेनुं समाधान मंगल करवामां शिष्ये बतावेल अनवस्थादोष अने तेनुं समाधान ११-४६ ११-१२ १२-१३ १४-१५ १५-१६ २४-१४८ २ नन्दी-ज्ञानपञ्चक २४ 'नन्दी' पदना निक्षेपो [ बार प्रकारनां वादित्रो] २५ प्रत्यक्ष अने परोक्षनुं लक्षण २६-२७ वैशेषिकादिकोए खीकारेल प्रत्यक्षना लक्षणमां दूषण २८ इन्द्रियथी थतुं लैङ्गिकज्ञान २९-३० प्रत्यक्ष अने परोक्षनी व्याख्या अने तेना भेदो अवधिज्ञान द्रव्य क्षेत्र काल भावथी अवधिज्ञान- खरूप ३५-३६ मनापर्यवज्ञान ३७-३८ केवलज्ञान ३९-४० आभिनिबोधिकज्ञान ४१-१४७ श्रुतज्ञान ४१-४२ श्रुतज्ञान- लक्षण अने तेना भेदो अक्षरश्रुतनुं स्वरूप ४४ पूर्वार्ध संज्ञाक्षरनुं स्वरूप ४४ उ०-४५ लब्ध्यक्षरनुं स्वरूप अने तेना भेदो ४६-५३ अत्यन्तानुपलब्धि, सामान्यानुपलब्धि अने विस्मृत्यनुपलब्धि ए त्रण अनुपलब्धिमुं तथा सादृश्यत उपलब्धि, विपक्षत उपलब्धि, उभयधर्मदर्शनत उपलब्धि, औपम्यत उपलब्धि अने आगमत उपलब्धि ए पांच उपलब्धिमुं खरूप ५४ पांच उपलब्धिओ संज्ञीने होय छे अने त्रण अनुपलब्धिओ असंज्ञिने होय छे ५५-१७ व्यञ्जनाक्षरनुं स्वरूप अने तेना जुदी जुदी रीते वे वे प्रकारो ५८-५९ व्यञ्जनाक्षरनुं अभिधेयथी भिन्नाभिन्नपणुं ६०-६४ व्यञ्जनाक्षरना स्व-परपर्यायो अने तेमनुं परस्पर संवद्धासंबद्धपणुं १६-२६ १९-२० २० २१-२२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002510
Book TitleAgam 35 Chhed 02 Bruhatkalpa Sutra Part 01
Original Sutra AuthorBhadrabahuswami
AuthorChaturvijay, Punyavijay
PublisherAtmanand Jain Sabha
Publication Year2002
Total Pages296
LanguageSanskrit, Prakrit
ClassificationBook_Devnagari, Agam, Canon, & agam_bruhatkalpa
File Size18 MB
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