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जैनदर्शन में कारण-कार्य व्यवस्था : एक समन्वयात्मक दृष्टिकोण २५. जैन, बौद्ध और गीता के आचार दर्शनों का तुलनात्मक
अध्ययन- डॉ. सागरमल जैन, राजस्थान प्राकृत भारती संस्थान,
जयपुर, १९८२ २६. जैनागम निर्देशिका- मुनि कन्हैयालाल 'कमल', आगम अनुयोग
प्रकाशन, दिल्ली १९६६ २७. ज्ञान स्वभाव-ज्ञेय स्वभाव- कानजी स्वामी, सम्पादक-ब्रह्मचारी
हरिलाल जैन, दिगम्बर जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट, सोनगढ। तिलोक काव्य कल्पतरू (भाग ४)- श्री रत्न जैन पुस्तकालय,
अहमदनगर २९. दर्शन और चिन्तन (खण्ड १ व २)- पं. सुखलाल के हिन्दी
लेखों का संग्रह, पं. सुखलाल जी सन्मान समिति, गुजरात विद्यासभा, अहमदाबाद, १९५७ दर्शन का नया प्रस्थान- साध्वी मुदित यशा, जैन विश्वभारती,
लाडनूं, प्रथम संस्करण, १९९९ ३१. नय प्रज्ञापन- श्री कानजी स्वामी के प्रवचन, पं. टोडरमल स्मारक
ट्रस्ट, ए-४, बापू नगर, जयपुर, १५ अगस्त १९९६ ३२. निमित्तोपादान- पं. टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर ३३. नियति की अमिट रेखाएँ- संत अमिताभ, आध्यात्मिक शोध
संस्थान, संबोधि वन, माउंट आबू (राज.), तृतीय संस्करण ३४.
निर्ग्रन्थ प्रवचन (हिन्दी भाष्य सहित )- अनुवादक- जैन दिवाकर मुनि श्री चौथमल जी महाराज, स्वरूपचन्द तालेड़ा, श्री
दिवाकर दिव्य ज्योति कार्यालय, ब्यावर, १९६६ ३५. परमभाव प्रकाशक नयचक्र- डॉ. हुकमचन्द भारिल्ल, पं.
टोडरमल स्मारक ट्रस्ट, जयपुर ३६. परमार्थसार- अभिनवगुप्तप्रणीत, मोतीलाल बनारसीदास, वाराणसी,
प्रथम संस्करण, १९८४ ३७. प्रमुख जैनागमों में भारतीय दर्शन के तत्त्व-साध्वी डॉ. सुप्रभा कुमारी
'सुधा', भेरूलाल मांगीलाल, धर्मावत, बड़ बाजार, उदयपुर (राज.)
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