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________________ ६४६ जैनदर्शन में कारण-कार्य व्यवस्था : एक समन्वयात्मक दृष्टिकोण ८५. षड्दर्शनसमुच्चय- मल्लधारी राजशेखर सूरिकृत, श्री भूपेन्द्रसूरि जैन साहित्य समिति, आहोर (मारवाड़) ८६. षड्दर्शन समुच्चय- हरिभद्रसूरि कृत, भारतीय ज्ञानपीठ, दिल्ली हिन्दी ग्रन्थ १. अध्यात्म प्रवचन-प्रवचनकार : उपाध्याय अमर मुनि, श्री सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा, १९६६ उपदेश प्रासाद महाग्रन्थ (भाग-४) - आचार्य श्री विजयलक्ष्मी सूरीश्वर विरचित, विराट प्रकाशन मंदिर, श्री विशाल जैन कला संस्थान, तणेटी रोड़, पालीताणा (गुजरात), १९८२ कर्मवाद- युवाचार्य महाप्रज्ञ, आदर्श साहित्य संघ, चुरू (राज.) ४. कर्मवाद : एक अध्ययन- श्री सुरेशमुनि शास्त्री, श्री सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा कर्म सिद्धान्त- श्री कन्हैयालाल लोढ़ा, प्राकृत भारती अकादमी, जयपुर कारण-संवाद- शतावधानी पं. मुनि श्री रत्नचन्द्र जी म.सा., मदनचन्द जी हिंगड़, अजमेर, प्रथमावृत्ति, १९९६ क्रमबद्धपर्याय- हुकमचन्द भारिल्ल, पं. टोडरमल स्मारक, बापू नगर, जयपुर गजेन्द मुक्तावली (भाग-१)- आचार्य श्री हस्तीमल जी म.सा., इन्दरचन्द जी जबरचन्द जी हीरावत, जयपुर, १९५० गणधरवाद- आचार्य जिनभद्रगणि कृत, लेखक-पं. दलसुख मालवणिया, सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल, जयपुर १०. जयपुर खानिया तत्त्व चर्चा- सम्पादक : पं. फूलचन्द सिद्धान्त शास्त्री, पं. टोडरमल स्मारक, बापू नगर, जयपुर जैन कर्म सिद्धान्त का उद्भव एवं विकास- डॉ. रवीन्द्रनाथ मिश्र, पूज्य सोहनलाल स्मारक, पार्श्वनाथ शोधपीठ, वाराणसी, प्रथम संस्करण, १९९३ ११. Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.002509
Book TitleJain Darshan me Karan Karya Vyavastha Ek Samanvayatmak Drushtikon
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShweta Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year2007
Total Pages718
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Philosophy
File Size11 MB
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