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५४२ जैनदर्शन में कारण-कार्य व्यवस्था : एक समन्वयात्मक दृष्टिकोण
२०७. आचारांग सूत्र १.४.२ सूत्र १४२ २०८. आचारांग सूत्र १.२.१ सूत्र ६८ २०९. आचारांग सूत्र १.४.१ सूत्र १३३ २१०. व्याख्याप्रज्ञप्ति, शतक १, उद्देशक ३, सूत्र ९ (५) २११. स्थानांग सूत्र, स्थान ४, उद्देशक ४, सूत्र ६०३ २१२. व्याख्याप्रज्ञप्ति, शतक १, उद्देशक ३, सूत्र ९ (५) २१३. व्याख्याप्रज्ञप्ति, शतक १, उद्देशक ३, सूत्र १०(३) से (१३) तक २१४. सन्मति तर्क ३.५२ २१५. (१) अथर्ववेद १९.६.४
(२) ऋग्वेद १०.४.९०.२ २१६. तैत्तिरीयोपनिषद्, ब्रह्मवल्ली, अनुवाक १ २१७. गीता ७.१० २१८. न्यायकुसुमांजलि, स्तबक ५, श्लोक १ २१९. अन्ययोगव्यवच्छेद-द्वात्रिंशिका, श्लोक ६ २२०. व्याख्याप्रज्ञप्ति शतक १२, उद्देशक ४, सूत्र ११ २२१. उत्तराध्ययन सूत्र, १८.३३ २२२. आचारांग सूत्र १.४.१.१३३
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