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• शीलांकाचार्य द्वारा उपस्थापित पूर्वपक्ष एवं उसका खण्डन
• अभयदेव सूरि द्वारा निरूपण एवं निरसन » जैनदर्शन में काल का स्वरूप
• काल विषयक दो मत • काल के भेद • काल का अनस्तिकायत्व एवं अप्रदेशात्मकत्व
• काल की अनन्तसमयरूपता » जैनदर्शन में काल की कारणता → जैनदर्शन में मान्य काल के कार्य > निष्कर्ष
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तृतीय अध्याय : स्वभाववाद
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→ उपस्थापन - ऋग्वेद में अपरवाद के रूप में स्वभाववाद
• परिणामवाद • यदृच्छावाद • नियतिवाद
• प्रकृतिवाद > उपनिषद् में स्वभाववाद की चर्चा > पुराण में स्वभाव विषयक मत → गीता में स्वभाव का प्रतिपादन » रामायण में स्वभाव की कारणता > महाभारत में स्वभाववाद का निरूपण एवं निरसन
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