________________
मलधारी श्री हेमचन्द्राचार्य विरचित एवं
खरतरगच्छविभूषण साधु सोमगणि की लघुवृत्ति पर आधारित
उपदेश पष्पमाला
का
हिन्दी अनुवाद
प्रेरिका
अनुवादिका साध्वी सम्यग्दर्शना श्री श्री शशिप्रभा श्रीजी
Jain Loucation International
संपादक डॉ. सागरमल जैन
प्रकाशक-श्री अ. भा. खरतरगच्छ महासंघ, मुम्बई प्राच्य विद्यापीठ, शाजापुर (म.प्र.)
Use Only
www.jaineliborg