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ग्रन्थानुक्रम १ प्रास्ताविक (मुनि जिनविजयजी)
ज्ञानके कारणों का विचार
७२-७४
प्रमाण का फल २ प्राकथन (पं० सुखलालजी) ७-१३
प्रमेयनिरूपण
७५-८४ ३ सम्पादकीय वक्तव्य
१-१० प्रमाण का विषय
७५-७६ (सम्पादनगाथा, संस्करण परिचय, संशोधन
ध्रौव्य और सन्तान
७६-७८ सामग्री, आभारप्रदर्शन )
विभमवाद संवेदनाद्वैतादिनिरास ७८-८२ भूतचैतन्यवादनिरास
८२-८४ ४ प्रस्तावना (पं० महेन्द्रकुमार )११-१०६
नयनिरूपण
८५.१०० (१) ग्रन्थकार
११-३२
जैनदृष्टि का आधार और स्थान ८५-९२ जन्मभूमि-पितृकुल ११-१३
९२.९४ समय विचार
१३.१७ नैगमादिनय विवेचन
९४-१०० अकलंक के ग्रन्थों की तुलना १७-३२
निक्षेपनिरूपण
१००-१०१ भर्तृहरि-कुमारिल १७-१८
सप्तभंगीनिरूपण
१०१-१०६ भर्तृहरि-धर्मकीर्ति
सप्तभंगी
१०१-१०३ कुमारिल-धर्मकीर्ति
सकलादेश-विकलादेश
१०३-१०४ धर्मकीर्ति का समय
संशयादिदूषण
१०५-१०६ भर्तहरि-अकलंक
५ ग्रन्थत्रय का विषयानुक्रम १०७-११६ कुमारिल-अकलंक धर्मकीर्ति-अकलंक
६ लघीयस्त्रय ( मूलग्रन्थ ) १-२६ प्रज्ञाकरगुप्त-अकलंक २६-२९
७ न्यायविनिश्चय , २६-६४ कर्णकगोमि-अकलंक २९-३० धर्मोत्तर-अकलंक २९-३० ८ प्रमाणसंग्रह , ६७-१२७ शान्तरक्षित-अकलंक ३१-३२
ह टिप्पण
१३१-१८२ (२) ग्रन्थ
३३-१०६ लघीयस्त्रय टिप्पण
१३१-१५४ बाह्यस्वरूप परिचय ३३-४२
न्यायविनिश्चय टिप्पण १५५.१७० ( ग्रन्थत्रय की अकलंककर्तृकता, नाम का
प्रमाणसंग्रह टिप्पण
१७१-१८०
टिप्पणपरिशिष्ट इतिहास तथा परिचय, रचना शैली)
१८१-१८२ आन्तरिक विषय परिचय ४३-१०६ १० परिशिष्ट
१-६० प्रमाणनिरूपण
४२-७५
१ लघीयस्त्रय-कारिकानुक्रम १-२ प्रमाणसामान्य
२ लघीयस्त्रय-अवतरण प्रमाणसम्प्लव
४४ ३ न्यायविनिश्चय-कारिकानुक्रम ३-१२ ज्ञान का स्वपरसंवेदनविचार४५-४७
४ प्रमाणसंग्रह-कारिकानुक्रम १३-१४ प्रत्यक्ष
४८-५२ ५ प्रमाणसंग्रह-अवतरण
१४ सर्वज्ञत्वविचार ५२-५७ ६ लघीयस्त्रयादिग्रन्थत्रयगत दार्शनिक परोक्ष ५७-६५ लाक्षणिक नामसूची
१५-५२ वाद
७ टिप्पणोपयुक्त ग्रन्थसंकेतविवरण ५३-५७ जय-पराजय व्यवस्था ६६.६७
८ टिप्पणनिर्दिष्ट प्राचार्यसूची जाति
९ लघीयस्त्रयादिग्रन्थत्रयबाह्य ६७-७०
___ अकलंकोक्त गद्यपद्यसूची ५८-६० वेदापौरुषेयत्वविचार ७०-७२ प्रमाणाभास ७२ । ११ शुद्धि-पाठभेद
६०
६७
श्रुत
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