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अतः राधनपुर के प्रत्येक जैन-भाई बहिन से विनति है कि रिवाज के अनुसार सागरगच्छ और विजयगच्छ में स्वप्न उतारे जावेंगे तो सब अपने-अपने संघ में जाकर आनन्द पूर्वक स्वप्नों का घी बोले और संघ में शान्ति बनी रहे ऐसा वर्ताव करे । यह हमारी भावभीनी अपील हैं।
लि. संघ के सेवक रतिलाल प्रेमचंद शाह,
देवेन्द्र बापुलाल शाह हिम्मतलाल भुदरदास पटवा, डॉ. चीमनलाल भुदरदास मक्तिलाल लेरचंद भाई
कीरतीलाल शिवलाल पारी हरगोवनदास चीमनदास पटवा, रतिलाल मणिलाल पटवा शेठ विट्टलदास धरमचंद, अरविंदलाल माणेकलाल भणसाली
राधनपुर श्री संघ में जब हमने उक्त रोति से सुविहित महापुरुषों द्वारा मान्य कल्याणकारी प्रणाली के अनुसार वि. सं. २०२२ के चातुर्मास में पर्युषणा महापर्व में स्वप्नों की उपज को देवद्रव्य में ले जाने का दृढ़ निर्णय कर लिया तो उसके विरोध रूप में उपरोक्त हेन्डबिल लगभग पर्युषणापर्व की आराधना के दिनों में प्रसिद्ध हुआ। उस समय हमें तो आराधना करनी थी और शासन प्रेमो श्री संघ को शान्ति से सुविहित परम्परांमान्य कल्याणकारी आराधना करवानी थी, इसलिए राधनपुर संघ का वातावरण दूषित न हो जाय और निरर्थक आराधना के वातावरण में विक्षेप न पड़े, अतः हेन्डबिल का जवाब न देने का निर्णय किया। तथापि असत्य का प्रतिकार करना भी सत्य की रक्षा और शास्त्रानुसारी सिद्धान्त की रक्षा का हेतु होने से आराधना ही है, यह हमारी निर्भयता पूर्ण मान्यता थी।
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स्वप्नद्रव्य; देवद्रव्य ]
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