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आवश्यकता समझकर श्रीसंघ ठहराव में परिवर्तन संशोधन या परिवर्धन कर सकता है ।' तो थोड़ी थोड़ी आवश्यकताओं में संघ परिवर्तन करता रहेगा तो अलग-अलग स्थानों पर उसका अलगअलग मनमाना अर्थ करके ठहराव किये जाते रहेंगे, तो इससे भविष्य में श्रावक अनेक दोषों के भागी बनेंगे, क्या ऐसा आपको नहीं लगता ?
कृपा करके आपश्री सम्पूर्ण विचार करके उत्तर देकर आभारी करें ।
स्वप्नद्रव्य देवद्रव्य ]
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