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________________ छोगमल सिपाणी के साथ स्था. स्वामी अमरसिंहजी को लिखकर भेजे थे । जब श्रावक छोगमलजी उन २१ प्रश्नों को लेकर स्था. स्वामी अमरसिंहजी के पास गये तब उन्होंने छोगमलजी को ऐसा कहा कि 'हमारे प्रश्नों का उत्तर आत्मारामजी दें और आत्मारामजी के प्रश्नों का उत्तर मैं दूं; परन्तु एक हाथ में उत्तर लेंगे और दूसरे हाथ में उत्तर देंगे ।' श्रावक छोगमलजी ने कहा कि'यह ठीक है । आप प्रश्न लिखकर दे दीजिये ।' इस पर से स्था. स्वामी श्री अमरसिंहजी ने चैत्र सुदी ५ को १०० प्रश्न लिखकर पू. आ. म. श्रीमद् विजयानन्द सूरीश्वरजी ( आत्मारामजी ) महाराज को भेज दिये । स्था. स्वामी अमरसिंहजी के १०० प्रश्न मिलते हो पू. आ. म. श्रीमद् विजयानन्द सूरीश्वरजी महाराज ने प्रश्नों का उत्तर अपने ज्येष्ट शिष्य पू. मुनिराज श्री लक्ष्मीविजयजी महाराज के पास से लिपिबद्ध कराये और चैत्र सुदी ७ को स्था. स्वामी अमरसिंहजी के पास भेजे परन्तु स्था. स्वामी अमरसिंहजी ने अपने १०० प्रश्नों के उत्तर लिये भी नहीं और पू. आ. म. श्रीमद् विजयानन्द सूरीश्वरजी महाराजा द्वारा उनको पूछे गये २१ प्रश्नों के उत्तर भी उन्होंने दिये नहीं । 1 तत्पश्चात् स्था. स्वामी अमरसिंहजी द्वारा पूछे गये १०० प्रश्न और पू. आ. म. श्रीमद् विजानन्द सूरिश्वरजी महाराजा द्वारा दिये गये १०० उत्तर किस प्रकार प्रसिद्धि में आये, इसके संबंध में 'गप्प- दीपिका समीर' के कर्त्ता स्व. आ. म. श्री विजयवल्लभसूरिजी ( उस समय मुनि श्री वल्लभविजयजी ) महाराज उस पुस्तक के १२६ वें पृष्ठ पर कहते हैं कि 52] 1 स्वप्नद्रव्य देवद्रव्य -
SR No.002500
Book TitleSwapnadravya Devdravya Hi Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakchandrasuri, Basantilal Nalbaya
PublisherVishvamangal Prakashan Mandir
Publication Year1984
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size8 MB
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