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________________ दूसरा साधन किसी तरह न बन सकता हो तो चांवल आदि की आय में से पगार दी जा सकती है । प्रश्न- ६ देव के स्थान पर पेटी रखी जा सकती है या नहीं ? उत्तर - पेटी में साधारण और स्नान के पानी सम्बन्धी खाता न हो तो रखी जा सकती है परन्तु कोई अनजान व्यक्ति देवद्रव्य या ज्ञानद्रव्य को दूसरे खाते में भूल से न डाले ऐसी पूरी व्यवस्था होनी चाहिये । साधारण खाता यदि पेटी में हो तो वह देव की जगह में उपार्जित द्रव्य श्रावक-श्राविका के उपयोग में कैसे आ सकता है ? यह विचार करने योग्य है । प्रश्न- ७ नारियल, चांवल, बादाम की आय किसमें गिनी जाय ? उत्तर - नारियल, चांवल, बादाम की आय देवद्रव्य खाते में जमा होनी चाहिए । प्रश्न- ८ आंगी की बढ़ौत्री किसमें गिनी जाय ? उत्तर - आंगी की बढ़ोत्री निकालना उचित नहीं है । क्योंकि उसमें कपट क्रिया लगती है । इसलिए जिसने जितने की आंगी करवाने को कहा है उतने पैसे खर्च करके उसकी तरफ से आंगी करवा देनी चाहिए | सद्गृहस्थो ! जो ख़ाता डूबता हो उसकी तरफ ध्यान देने की खास आवश्यकता है । आजकल साधारण खाते की बूम सुनाई पड़ती है अतः उसे तिराने की खास जरूरत है । अतः पुण्य करते समय या प्रत्येक शुभ प्रसंग पर शुभ खाते में अवश्य रकम निकालने और निकलवाने की योजना करनी चाहिए जिससे यह खाता स्वप्नद्रव्य देवद्रव्य | [ 39
SR No.002500
Book TitleSwapnadravya Devdravya Hi Hai
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKanakchandrasuri, Basantilal Nalbaya
PublisherVishvamangal Prakashan Mandir
Publication Year1984
Total Pages150
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size8 MB
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