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दोष लगते हैं । इस विषय में विशेष स्पष्टता चाहिए तो वहाँ विराजमान पू. आ. म. श्री विजय अमृतसूरीश्वरजी म. श्री से प्राप्त की जा सकती है । पत्र द्वारा अधिक विस्तार क्या किया जाय?
(उक्त अभिप्राय पू. पाद आचार्यदेव श्रीमद् विजयरामचन्द्रसूरि के पट्टालंकार आ. म. श्री विजयकनकचन्द्रसूरि महाराज का है।)
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सादड़ी श्रा. सु. ७ शुक्रवार पाटो का उपाश्रय श्रावक अमीलाल रतिलाल !
लि. मुनि संबोधविजयजी; धर्मलाभ पूर्वक लिखना है कि. पत्र मिला। समाचार जाने ।
स्वप्नों का द्रव्य, देवद्रव्य में जावें ऐसी घोषणा गतवर्ष श्री 'महावीर शासन' में हमारे पू. आ. महाराजश्री के नाम से आ गई है । जैसा हमारे पू. महाराजश्री करें उसी प्रकार हम भी मानते हैं.और करते हैं। 'श्राद्धविधि ग्रन्थ' तथा 'द्रव्य-सप्ततिका' में स्पष्ट बताया गया है। मुनि सम्मेलन में एक कलम देवद्रव्य के लिए निर्णीत कर दी गई है । उस पर हस्ताक्षर भी हैं। किं बहुना।
[ पिछले कुछ वर्षों से ऐसी हवा जान बूझकर फैलाई जा रही है कि पू. पाद आचार्य म. श्री विजयानन्दसूरि महाराजश्री ने राधनपुर में स्वप्नों की आय साधारण खाते में ले जाने का आदेश दिया था। वि. सं. २०२२ के हमारे राधनपुर के चातुर्मास
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[ स्वप्नद्रव्य; देवद्रव्य