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श्री मुकाम पाटण से लि० विजय भक्तिसूरि तथा पं. कंचनविजयादि ठा. १९ तरफ से
मु. शान्ताक्र ुझमध्ये देवगुरु भक्ति कारक धर्मरागी जमनादास मोरारजी योग्य धर्मलाभ वांचना | आपका पत्र पहुँचा । समाचार जाने । आपने स्वप्नों की बोली के सम्बन्ध में पूछा उसके उत्तर में लिखना है कि
पहले ढाई रुपये के भाव से देरासरजी ( मन्दिरजी ) में ले जाते थे । अब पांच रुपये का प्रस्ताव करके आधा साधारण खाते में ले जाने का विचार करते हो, यह विचारणीय प्रश्न है । क्योंकि जब ढाई रुपये के पांच रुपये भाव करेंगे तो स्वाभाविक रूप से कम घी बोला जावेगा । इसलिए मूल आवक में परिवर्तन हो सकता है। साथ ही मुनि सम्मेलन के समय -आधा साधारण खाते में. जाने का निर्णय नहीं हुआ है। तो भी आप वयोवृद्ध आचार्यश्री विजय सिद्धिसूरिजी तथा विजयने मिसूरिजी महाराज को पूछ लेना ।
'आप जैसे गृहस्थ धारें तो साधारण में लेशमात्र भी कमी न आवे । न धारें तो कमी आने की है ! सबसे उत्तम मार्ग तोजैसा पहले हैं वैसा ही रखना है । कदाचित् आपके लिखे अनुसार आधा-आधा करना पड़े तो ऊपर सूचित दो स्थानों पर पूछ कर कर लेना । यह बराबर ध्यान में लेना । धार्मिक क्रिया करके जीवन को सफल करना । अहमदाबाद तक कदाचित् आने का प्रसंग आवे तो पाटण नगर के देरासरजी की यात्रा का लाभ लेना ।
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स्वप्नद्रव्य देवद्रव्य |
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