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जिनमन्दिर में जाय । श्री जिन मन्दिर में जाकर वह श्रावक देखे कि- 'यहाँ मेरे शरीर से बन सके ऐसा किसी गृहस्थ का. देवपूजा की सामग्री का कोई काम है ? जैसे कि किसी धनवान श्रावक ने प्रभुपूजा के लिए फूल लिये हों और उन फूलों की गूंथनी करनी हो। ऐसा कोई कार्य हो, तो वह श्रावक सामायिक पार कर, उस कार्य द्वारा द्रव्यपूजा का भी लाभ ले ले । शास्त्र ने यहां स्पष्ट किया है कि - द्रव्यपूजा की सामग्री अपने पास है नहीं और द्रव्यपूजा के लिए जरूरी सामग्री का खर्च निर्धनता के कारण स्वयं नहीं कर सकता है, तो सामायिक पार कर दूसरे की सामग्री द्वारा वह इस प्रकार का लाभ ले, वह योग्य ही है । और शास्त्र ने . ऐसा भी कहा है कि - 'प्रतिदिन अष्ट प्रकारी आदि पूजा न कर सकता हो तो कम से कम अक्षत पूजा के द्वारा भी पूजन का आचरण करना चाहिए ।'
[ जैन प्रवचन, वर्ष ४३, अंक १६ ]
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[ स्वप्नद्रव्य देवद्रव्य