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( ७ )
पू. पंन्यासजी म. श्री अशोकविजयजी म..
डेला का उपाश्रय, अहमदाबाद
आसोज वदी ८
यहाँ सब उपाश्रय में जो स्वप्नों की बोली, बोली जाती M है वह सब रकम देवद्रव्य में जाती है और यहां भी आनन्दजी कल्याणजी को जीर्णोद्धार कमिटि को वह रकम सौंपी जाती है । बाहर भी प्रभु के निमित्त जो बोलो बोली जाती है, वह सब देवद्रव्य में ही जाती है ।
मुनि सम्मेलन के पट्टक में भी इसी तरह का ठहराव है। आपश्री ने स्वप्नों की उपज को साधारण में ले जाने वालों के. प्रति विरोध प्रकट किया है, वह उचित ही है ।
( ८ )
पू. गरिणवर्य श्री श्रभयसागरजी म. कपडवंज ( पू. पं. स. श्री अभयसागरजी म.)
आसोज वदी ८
राधनपुर का पर्चा पढ़कर बहुत ही दुःख हुआ । अभिनिवेश के कारण जीव कालदोष से कैसी बेहूदी बातों का प्रचार करते हैं । शासनदेव से प्रार्थना है कि उनको मोह को निद्रा में से जागृत करे, बहुत ही अवांछनीय खोटे प्रयत्न से वे अपने आपको बचावें |
स्वप्नद्रव्य देवद्रव्य ]
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