________________ VIIIIIIIIIIIIIIIIIIIII भयंकर दुःखो की खान रात्रि भोजन (तृतिय आवृत्ति) संपादक : पू. उपाध्यायजी श्री कमलरत्नविजयजी गणिवर / जैन जगत में अपनी प्रवचन-पटुता से बहुत ही जाने पहचाने व्याख्यान वाचस्पति जिन-शासन के ज्योतिर्धर स्वर्गत पू. आचार्यदेव श्रीमद् विजय रामचंद्र सूरीश्वरजी महाराजा की धर्मवाणी को निरन्तर प्रवाहित रखनेवाला मासिक-हिन्दी मासिक जैन- प्रवचन जैन प्रवचन प्रचारक सं मानद संपादक : श्री सागरमल 96, धनजी स्ट्रीट, तीसरा म