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________________ द्रव्य खर्च नहीं सकते । यह द्रव्य चेरिटी के उपयोगमें अथवा व्यावहारिक शिक्षण खातेमें अथवा अन्य किसी सांसारिक कार्योंमें खर्च नहीं सकते । इस साधारण खाते का उपयोग प्रभावना व साहमिवात्सल्यमें नहीं कर सकते। भक्ति के पात्र सात क्षेत्र में ही साधारण द्रव्य का उपयोग हो सकता है। अनुकंपा एवं जीवदया में इसको उपयोग नहीं कर सकते क्योंकि यह भक्तिक्षेत्र है, अनुकंपा-जीवदया दया के पात्र है। ___ साधारण द्रव्य भी पीडाग्रस्त श्रावक को संघ के द्वारा दिया हुआ हो तो ही अपने उपयोग में ले सकता है वर्ना नहीं। . ११. आयंबिलतप :- इस खाते की रकम आयंबिल करने वाले तपस्वियों की भक्ति या उनकी व्यवस्थामें खर्च सकते हैं । इस खाते का द्रव्य यदि अधिक हो तो अन्य गाँवो में आयंबिल तप करनेवालों की भक्तिमें खर्च सकते है । संक्षिप्त में यह द्रव्य आयंबिलतप और तपस्वियों की भक्ति के सिवाय अन्य किसीभी कार्य में खर्च नहीं सकते। यह खाता भी केवल धार्मिक खाता है । इसी कारण आयंबिल भवन का उपयोग धार्मिक प्रवृत्ति के सिवाय किसी भी अन्य कार्य में नहीं हो सकता। १२. धारणा अत्तरवायणा - पारणा - स्वामिवात्सल्य नवकारशी खाता/पौषधवालों को एकासन प्रभावना आदि खाता :- ऊपर के नामवाले अथवा तो अन्य तप, जप, तीर्थयात्रा आदि धार्मिक कार्य करनेवाले साधर्मिक की भक्ति करने के लिए जो द्रव्य होता है वह द्रव्य तो द्रव्यदाता की भावनानुसार उस उस खातों में उपयोग करना चाहिए । अधिक हो तो यह द्रव्य सातों क्षेत्रमें जहाँ जहाँ जरूर हो वहाँ वहाँ खर्च सकते है परंतु सार्वजनिक किसी भी कार्य में यह द्रव्य नहीं खर्च सकते । यह द्रव्य केवल धार्मिक क्षेत्रका ही द्रव्य है। १३. निश्राकृत द्रव्य :- दानवीरों ने विशिष्ट प्रकार के धार्मिक कार्य या देवद्रव्यादि का संचालन कैसे हो ? * ६
SR No.002499
Book TitleDevdravyadi Ka Sanchalan Kaise Ho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalratnasuri
PublisherAdhyatmik Prakashan Samstha
Publication Year1997
Total Pages70
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size6 MB
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