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जैनबन्धु ग्रंथमाला ग्रंथांक ७
श्री शान्तिनाथाय नमः
मेरु त्रयोदशी कथा.
श्री मेरू त्रयोदशी व्रत आश्रयी. पिंगल राजा की कथा.
ऋषभ प्रभु को नमन करी, कहुं कथा मेरु त्रयोदसी । मन वच काय स्थिर करी, हो मुक्ति सुखवासी ॥ १ ॥ मारुदेवं जिनं नत्वा, स्मृत्वा सद्गुरुभारतीम् । मेरुत्रयोदशीघत्र व्याख्यानं लिख्यते मया || २ |
सर्व प्रथम श्री ऋषभ देव भगवानको नमस्कार करके, तदन्तर ज्ञान दाता गुरू को तथा भगवत् वाणी रूप श्री सरस्वती देवी का हृदय में स्मरण रख, श्री मेरू त्रयोदशी व्रतकी कथा कहता हूं ।
अष्ट महा प्रातिहारों से विराजमान त्रिजगद्गुरु श्रीमहावीर स्वामी ने जिस भांति परम्परागत पूर्व