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(२४) वंदण वत्ति. अन्नत्य कहके १२ लोगस्स या ४८ नौकार का काउस्सग्ग करके प्रगट लोगस्स कहना.
५ यह व्रत महिने महिने करना हो, तो १३महिने में, और सिर्फ मेस्त्रयोदसी के दिन करना हो, तो १३ वर्ष पूर्ण होता है.
चैत्य वंदन.
अष्टापद गिरी उपरे, दश हजार मुनि साथ । भक्त चतुर्दशं तप कियो, अनशन दीनानाथ ॥१॥ सुन आये चक्री वहां, भरत भरत भरतार । आसन कंपे इंद्र भी, आए सुर परिवार ।। २ ।। अवसर्पिणी अर तीसरे, पक्ष नेवासी शेष । त्रियोदशी वदी माघ की, अभिचि तार विशेष ॥ ३ ॥ वासर पूरव भाग में, पर्यकासन धीर । ध्यान शुक्ल बल कमे को, नष्ट करे वड वीर ॥ ४ ॥ कर्म अभाव आतमा, सिद्ध परं पद जास । अजर अमर अज नित्यता, सादि अनंता वास ॥५॥