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________________ ( २० ) गुरु महाराज के ये वचन सुन कर अनंतवीर्य राजा पुत्र को व्रत अंगीकार करा, गुरु को नमस्कार कर अपने स्थान को गया । पिंगलकुमार ने प्रथम माघ कृष्ण त्रयोदशी का व्रत किया, उससे पांव के अंकुर प्रगट हुए । इसी भांति तेरह मास पर्यन्त व्रत किया तब सुंदर. रूपवान हाथ पांव प्रगट होगये। यह देख कर राजा अत्यंत हर्षित हुआ। धर्म की महिमा देख कर परम वैराग्यवान होकर विशेष धर्म करने लगा । पश्चात् सोलहवें मास में पिंगलकुमार ने गुणसुंदरी का पाणिग्रहण किया. साथ ही अन्य भी बहुत सी कन्याओं से विवाह किया । इसके बाद अनन्तवीर्यं राजाने पिंगलकुमार को राज्य सौंप कर स्वयं गांगिलमुनि से चारित्र ग्रहण किया और निरतिचारपन पालन करके श्री शत्रुंजय तीर्थ में अनशन कर, कर्म क्षय कर मोक्ष पद पाया । उद्यापन विधि. इधर पिंगल राजा भी पुत्रवत् प्रजा का पालन कर नीति के अनुसार राज्य कार्य करता रहा, और .
SR No.002498
Book TitleMeru Trayodashi Mahatmya Ane Devdravya Bhakshan Ka Natija
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMansagar
PublisherHindi Jainbandhu Granthmala
Publication Year1926
Total Pages28
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari & Devdravya
File Size2 MB
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