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________________ चोवीश जिनवर मुक्ति लेशे, जे भूमि गिरनार जो, सिद्धशे वली साधु साध्वी, जे भूमि गिरनार जो; चोवीश जिन मंदिर बनावं, ते भूमि गिरनार जो, हे नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो... संघपति सहु संघ लइने, आवशे गिरनार जो, आफत सवि दूरे करुं हुं, जे जता गिरनार जो; तारा प्रभावे भाव मारा, पामशे सुखकार जो हे नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो... एक जन्म हो मुज महाविदेहे, संघभक्ति कारणे, श्रमण गण के श्रावको हो, आवजो मुज बारणे; जे जे चहे ते ते दउ हुं तेहने पलवार जो, 1 ....१५ आ भरतमां श्वेतांबर के, होय दिगम्बर भले, स्थानवासी तेरापंथी, मोक्षमार्गी जे मले; वीतरागी बनवा झुरता, प्रति नमन वारंवार जो, हे नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो......१७ ...१६ 39 नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो.... ....१८
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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