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चोवीश जिनवर मुक्ति लेशे, जे भूमि गिरनार जो, सिद्धशे वली साधु साध्वी, जे भूमि गिरनार जो; चोवीश जिन मंदिर बनावं, ते भूमि गिरनार जो, हे नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो...
संघपति सहु संघ लइने, आवशे गिरनार जो,
आफत सवि दूरे करुं हुं, जे जता गिरनार जो;
तारा प्रभावे भाव मारा, पामशे
सुखकार जो
हे नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो...
एक जन्म हो मुज महाविदेहे, संघभक्ति कारणे,
श्रमण गण के श्रावको हो, आवजो मुज बारणे;
जे जे चहे ते ते दउ हुं तेहने पलवार जो,
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आ भरतमां श्वेतांबर के, होय दिगम्बर भले,
स्थानवासी तेरापंथी, मोक्षमार्गी जे मले;
वीतरागी बनवा झुरता, प्रति नमन वारंवार जो,
हे नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो......१७
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नेमिनाथ जिनेन्द्र, मारी प्रार्थना स्वीकारजो.... ....१८