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________________ गुरुभक्ति गीत संत परम हीतकारी ( राग : वो दिन क्युं न संभारे ) संत परम हितकारी, जगतमांही संत परम हितकारी प्रभु पद प्रगट करावत प्रीति, भरम मीटावत भारी... परम कृपालु सकल जीव पर, हरी सम सब दुःख हारी.... त्रिगुणातीत फीरत तनुं भागी, रीत जगत अ न्यारी... ब्रह्मानंद कहे संत की सोबत, मिलत है परम मुरारी ... तारा गुणोनी पाट तारा गुणोनी पाट मने आप मारा स्वामी, मने तारा मारग तणा ओरता, . तारुं विरति वरदान मने आप मारा स्वामी मने संयमना रंग तणा ओरता... आ. संसारे मन मदारी, नाच नचावे क्रोध करावे, कुरगडु मुनिनी क्षमा मुजने आप मारा स्वामी, मने हळवा थवाना घणां ओरता... कपटी छे आ संसारनी माया, कामणगारी ओनी काया, स्थूलभद्रजीनुं व्रत मने, आप मारा स्वामी, मने सत्त्व फोरववाना ओरता... इच्छाना द्वार जो खोले, श्रद्धानी नावलडी डोले, सुलसा श्राविकानी श्रद्धा मने आप मारा स्वामी, .मने धर्मलाभ सुणवाना ओरता...
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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