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________________ लेजो समजीने संयमनो भार (राग : कहेदो कोईना करे यहाँ प्यार...) लेजो समजीने संयमनो भार... (२) सहेजे मनडु चळे, सघळु धूळमां भळे, डगले पगले ज्यां खांडानी धार... लेजो... उजळा चीवर तो भले ने धर्या, मनडाना वस्त्रो जो मेला रह्या; . तो करम ना छूटे, भवना फेरा ना तूटे, नवा दोषो वधे बेसुमार... लेजो. सगपण संसारना भूलवां पडे, मुक्तिनो मारग तो त्यारे जडे, भाई केवा हशे ? मा शुं करती हशे ? जो जे याद न आवे संसार... लेजो. सुख तो संसारथी अधिकां मळे, हैया ने कहेजो लगीर ना ढळे, मोंघा वस्त्रो मळे मीठां भोजन मळे, जोजे लोभे ना मनडु लगार... लेजो. प्रगति देखी कोईनी ईर्ष्या करे, मोटां थवानी जे स्पर्धा करे, आचारोने चूके, मर्यादाने मूके, तेनो थाये कदी ना उध्धार... लेजो. पदवी सन्माननी वांछा करे, किर्तीनी पाछळ जे घेलां फरे साचो मारग भूले, तेनी साधना डूबे, डूबे मोंघोने मूलो अवतार... लेजो. होजो जयजयकार होजो जयजयकार दिव्यात्मा तारो होजो जयजयकार जिनशासनमा जनम लई, सार्थक कीधो अवतार... . रिद्धि सिद्धि सुख सामग्री खोट जीवनमां नहोती, मिथ्या मोह त्यजी जीवननी, नवली केडी गोती... लाग्यो लाग्यो जगत असार... पूर्व जनमना पुण्य प्रभावे, करी साधना भारी, पितृ मातृना नाम दीपाव्या, मानी कूख उजाळी, तरी गया संसार... ૨૮૪
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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