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पगले पगले छ काय जीवनी रक्षाना परिणाम, अष्ट प्रवचन मातानुं पालन, नित्य चढते परिणाम तमे निर्मळ ब्रह्मे रसीया, अमे मोहपाशमां फसीया... तमे व्रत लीधा गुरु साखे तेने, जीवनभर जालवजो, प्राण जाय पण व्रत नहिं जाओ, ओ श्रद्धा केळवजो तमे मुक्तिपुरी संचरिया, अमे चउगतिमा भमीया... तमे
| हो संयम साधक शूरवीरो
(राग : प्रभु ते मने जे आप्यु...) हो संयम साधक शूरवीरो, तुज मार्ग सदा मंगळ होजो कुकर्मो साथे युद्ध करी, जय जय मुक्तिमाळा वरजो... कुकर्मो संयम पथ छे कंटक भरीओ, उपसर्ग परिषहनो दरियो, हैयामा हाम भरी पूरी, निज आत्म स्वरुपे लीन रहेजो.... कुकर्मो जिन आण तणु पालन करजो, गुरुभक्तिना रसिया सदा बने सवी जीव प्रति समभाव धरी, तप त्याग विरागे मने धरजो... जे श्रद्धाथी संयम लेता, ओ श्रद्धा जीवनभर ना मुक्ता ईर्ष्या निंदादिक दोष त्यजी, गुण रत्नोथी जीवन भरजो... कुकर्मो तजी माया प्रपंच भरी दुनिया, सहु स्वजन संबंधी स्वारथिया गुरु-देव तणा चरणो सेवी, निर्मळ संयम सुखमां रमजो... कुकर्मो
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