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गिरनारगिरि शणगार तमने कोटि कोटि वंदना, राजुल तणा भरथार तमने कोटि कोटि वंदना; योगीश्वरोना नाथ तमने कोटि कोटि वंदना, नवभव तणा संगाथ तमने कोटि कोटि वंदना... २७ । गिरनार गिरि पर जुग जुगोथ जेमना छे बेसणां, जे नाथनी करूणां थकी पंथे चड्यो अनुभव तणा; दर्शन कराव्या परमना ते नाथ ने स्तवंतां स्तवे, मांगे धुरंधर विजय देजो बोधि लाभ भवे भवे... २८
नेमिजिन स्तुति |
(१) जे प्रभु तणा संस्मरणथी, संताप सवि मनना टळे,
जे प्रभु तणा दर्शन थकी, दुःख दुरित दर्द दूर टळे, जे प्रभु तणा वंदन थकी, विरमे विषयने वासना गिरनार मंडण नेमिजिनने, भावथी करुं वंदना. रमणीय राजुल जेवी नारी त्यजी दीधी पळवारमां, रमणीनुं रुपविरुप लाग्युं, पशु तणा पोकारमां, राजीमतीनु शु थशे, क्षण मात्र नवि करी कल्पना...
गिरनार... . (३) तोरण सुधी आवीने पण, पाछा वळ्या जीव प्रेमथी,
निर्दोष पशुओनी कतल, जोवाय केम प्रभु नेमथी, अंतर बने करुणा भी, बस आटली मुज प्रार्थना
गिरनार...