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के वांछा मरणनी करावे मने, मारा हृदयमां उतरजो, प्रभु !
के मक्कम बनीने उपाधि भूलीने तमोने भजुं...
लहर ओक सुखनी अडे ज्यां प्रभु ! भूली जडं धुं हुं दुःखोनी असर,
गुमानी बनीने फरुं रातदिन, लउंना अभागी जनोनी खबर, मदिरा जो सुखनी नचावे मने, के निष्ठुर दानव बनावे मने,
मारा हृदयमां उतरजो, प्रभु ! के तोरी मगजनी तुखामी, भूलीने तमोने भजुं
कदी जो परिषह...
जाग्यो रे आतमा आश जागी
(राग : आधा है चंद्रमा रात आधी... ) जाग्यो रे आत्मा आश जागी, मुक्तिना अमृतनी प्यास जागी, अभिलाषा जागी... जाग्यो रे.
ज्यारे आतमनो दीवडो जागे, त्यारे बंधन संसारना भागे, त्यागे सखीओनो प्यार, त्यागे सघळो परिवार,
अणे वस्त्रालंकारोनी प्रीत त्यागी... जाग्यो रे.
कदी जो परिषह...
ज्यारे आतमनो दीवडो जागे, त्यारे वैभव अळखामणा लागे, लागे खारो संसार, लागे प्यारो अणगार,
ओने संयमना पंथनी लगनी लागी... जाग्यो रे.
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