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हे... केवां केवां वर्णन स्वामी में सुण्या ओ मलकनां,
अधीरो बन्यो छे मारो आतमा परमातमा, जन्म, जरा, मृत्यु केरां दुःखडांने बदले स्वामी,
रहेवानुं त्यां तो सुखनां शाश्वता सहेवासमां. चार चार गतिना फेरा हवे नथी फरवा मारे,
करवो छे कायमनो वसवाट, पंचम लोकमां, दुःखडां निवारो मारा जनम मरणनां परमातमा.
प्रभुथी पागल थई... प्रभुथी पागल थई कर प्रीत,
..पछी तारी ज्यां जाय त्यां जीत, प्रभुथी भावधरी कर प्रीत,
___ पछी तारी ज्यां जाय त्यां जीत... कर प्रयत्न संताप मूकी दे, यश अपयश नहीं थाय, कोई पूरे ना आश जो तारी, पूरशे श्री जगन्नाथ,
तो युगपुराणी रीत... पछी तारी.... निश्चय करी ले क्यारे जावं, शुं करवो व्यापार, लाभ हानि क्यां समजी ले, तो थाशे बेडो पार,
करजे सद्गुणना रे गीत... पछी तारी.... पूर्णविराम. मेळवq छे तो, मूक अल्प अर्धविराम, प्रभुना चरणे शिश नमावी, ओळख आतमराम,
फरतुं बांधी ले तुं चित्त... पछी तारी.... देव जिनेश्वर वीर वीतरागी, हैये धरे जगहित, प्राणी मात्रनो हितचिंतक, ओ सहुथी करतो प्रीत, हैये वसे अवचनातीत... पछी तारी....
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