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________________ लबकारा लेती काळी वेदनाओ सहेता सहेता, वरसोनां वरसो स्वामी में विताव्या त्रासमां, इरे मलकनुं ज्यां पूरे थयुं आयऱ्या त्यां, जनम थयो रे मारे जानवरना लोकमां दुःखडा निवारो मारा जनम मरणना परमतामा, केवा केवा जुल्मो वेठ्यां, जानवर बनीने स्वामी, . . ओक रे जाणे छे मारो आतमा परमातमा. बोजो अळखामणो ने लाकडीना मार खाता, वहेतीती आंसुडानी धार मारी आंखमां,. इरे मलकनुं ज्यां पूरं थयुं आयऱ्या त्यां, जनम थयो रे मारो देवताना लोकमां. दुःखडा निवारो मारा जनम मरणनां परमातमा. केवां केवां मंथन स्वामी में कर्या देवलोकमां, अक रे जाणे छे मारो आतम परमातमा. रिद्धिने सिद्धि तोये तमारा वियोगे स्वामी, जन्मारो गाळ्यो जाणे घोर कारावासमां, इरे मलकनुं ज्यां पूरे थयुं आयऱ्या त्यां, जनम थयो रे मारो मानवीना लोकमां, दुःखडा निवारो मारा जनम मरणनां परमातमा. केवा केवा नाटक स्वामी, हुं करुं आ जनममां, अक रे जाणे छे मारो आतमा परमातमा. मनडानी माया काजे धरवा पडे छे मारे, डगले ने पगले नवलां रुप आ संसारमां, आरे मलकनुं ज्यां पूरे थाय आयऱ्या त्यां, तेडावो मुजने स्वामी त्यां तमारा लोकमां दुःखडां निवारो मारा जनम मरणनां परमातमा - ४. R
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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