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________________ देखी अनंतु नाथनुं बळ कृष्ण मनमां भय करे, शुं नेमि मारुं राज लेवा लालसा मनमां धरे; लेशे कुंवारा नेमि संयम गगनवाणी उच्चरे, निरख्यु...९ श्रीकृष्ण होरी खेलवा चाल्या उमंगे सरवरे, श्री नेमिने पण खेलवा खेंचे जता साही करे; जळकेली करता त्यां हजारो गोपीओनी संग ते, निरख्यु...१० श्री कृष्णना आदेशथी श्री नेमिने खेलावती, गोपी बधीए लाज मुकी व्यंग बाणो छोडती; ललचाववाने लग्न माटे गजबना नखरा करे, निरख्यु...११ तव निर्विकारी नेमि राखी मौन मुख मलक्या करे, सहु स्वजन स्मितने संमति मानी तुरत सगपण करे; ___परणाववाने राजीमतीनी साथ जोडे जानने, निरख्यु...१२ रेवतगिरिना श्याम शिखरे श्वेत वादलडी रमे, रे तेज रीते श्यामनेमि गौरी राजुलने गमे; आ श्याम श्वेता जोडलीनी जोड जगमां ना जडे, निरख्युं...१३ पण गोखमां बेठेल राजुल राह जोती रही गई, के कर्मराजाने न आवी जोडली मंजुर थई; पशुओ तणा पोकारथी हा ! नेमजी पाछा वळे, निरख्युं...१४
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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