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________________ ओवी लागी लगन ओवी लागी लगन... बन्यो ध्यानमां मगन... हुं तो घडी घडी... वीर वीर गाया करूं... ओवी लागी. हैये तारुं स्मरण... होठे तारुं रटण... हुं तो पळे पळे... प्रभु तने याद करुं... ओवी लागी. आंख मीचुं स्वप्नमां तुं आव्या करे, माउं रोम रोम सदा तने गाया करे, हुं तो वीर, वीर, वीर वीर गाया करूं... ओवी लागी. मारा जीवननो प्राण... मारा मननो तुं मित, तने पामीने कर्मोथी करवी छे जीत, हुं तो फरी फरी तारी पासे आव्या करूं !... ओवी लागी. ओक पंखी... एक पंखी आवीने उडी गयुं... एक वात सरस समजावी गयुं, आ दुनिया ओक पंखीनो मेळो... कायम क्यां रहेवानुं छे, खाली हाथे आव्या ओवा... खाली हाथे जवानुं छे. जेने तें तारुं मान्युं ते तो... अहींनुं अहीं सहु रही गयुं ... ओक जीवन प्रभाते जनम थयोने... सांज पडे ऊडी गयुं, सगा संबंधी माया मूकी... सहु छौडी अलग थातुं, अकलवायुं आतम पंखी... साथै कांई न लई गयुं ... अक पांखोवाळु पंखी ऊंचे... ऊडी गयुं आ आकाशे, भानभूली भटके भवरणमां... माया मृगजळथी नाशे, जगतनी आंखो जोती रहीने... पांख विना अ ऊडी गयुं ... ओक २३८
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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