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मने ज्यां जवानुं मन
(राग : अक प्यार का नगमा...) मने ज्यां जवानुं मन, त्यां मुजने जवा दे नहीं, मारो कर्मो केवा भारे, मारी मुक्ति थवा दे नहीं...
मने थाय घणुं मनमां, के आ मोको संभाळी लङ, मंजिल छे नजर सामे, अने छोडीने झाली लडं,
पण काया बनी दुश्मन, अक डगलु उपाडे नहीं... आ कुमळा हृदय माथे, बहु बोज लीधा छे में, कडवा घुटडा जगनां, ना छूटके पीधा छे में, हवे लागी तरस जेनी, ते अमृत पीवा दे नहीं... .
हुं आगळ जवा मांगु, मने पाछळ हटावे छे, हुं पावन थवा मागुं, मने पापी बनावे छे, हने शुं करवू मारे, कोई मारग सुझाडे नहीं...
तुं मने भगवान... तुं मने भगवान, अक वरदान आपी दे, ज्यां वसे छे तुं, मने त्यां स्थान आपी दे,
हुं जीवं छु ओ जगतमां, ज्यां नथी जीवन, जिंदगीनुं नाम छे बस, बोज ने बंधन,
आखरी अवतारनुं मंडाण बांधी दे... ज्यां... आ भूमिमां खूब गाजे, पापनां पडघम, बेसूरी थई जाय मारी, पुण्यनी सरगम, दिलरुबाना तारनु, भंगाण सांधी दे... ज्यां,..
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