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स्मरण जन्म जुना, स्मृति मांहे आवे, नयन शोधतां तमने, प्रभु आर्त भावे,
के मुख परथी दृष्टि हटावी हटे ना... मंदिर... हरखाता पळपळ, प्रभु तमने जोई, हवे दिन विरहना, वीते रोई रोई,
वियोगर्नु दुःख आq हशे ना... मंदिर... तमे जई वस्या स्वामी, स्वरुप महेलमां, रझळतो रह्यो हुँ, संसार वनमां,
हवे नाथ अंतरथी अळगा थशो ना... मंदिर... प्रभु अमने तारो, उगारो बचावो, मूकी मस्तके हाथ, पार उतारो,
कृपावंत ने झाझु कहेवू घटे ना... मंदिर... अंतरनी ज्योति प्रगटावी जाओ, अमी आतमना छलकावी जाओ,
क्षमावंत ने झाझं कहेवू घटे ना... मंदिर...
मुझे मेरी मस्ती ।
(रागः बहोत चाहने वाले..) मुझे मेरी मस्ती कहां लेके आयी, जहां मेरे अपने सिवा कुछ नाही... मुझे . पता जब चला मेरी, हस्ती का मुझको,
सिवा मेरे अपने, कही कुछ नाही... मुझे न दुःख है न सुख है, ना है शोक कुछ भी, अजब है ये मस्ती, और कुछ नाही... मुझे
मैं हुं आनंद, और आनंद है मेरा, सिर्फ मस्ती है मस्ती, और कुछ नाही... मुझे
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