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आप क्या जाने....
आप क्या जाने नेमि जिनेश्वर, यहां हम कैसे जीओ जा रहै है, तुजको मीलने की उम्मिद रख कर, गम के आंसु पीओ जा रहै है... आप १ __तुं सागर है मे ओस बिंदु, मैं एक सूर ओर तुं सूर सिंधु,
सप्तसूरो की सरगम बनाकर, तेरे गीतो को हम गा रहै है... आप २ मुखडे पे तेरे ममता जो मलके, नैनो से तेरे प्यार जो छलके, करुणा और समताकी बहती, धारा में हम न्हा रहै है... आप
तुं समुद्र विजय शिवादेवी नंदा, तेरे चरणो में चोसठ इंदा, मीटा दे मेरे भवोभव का फंदा, यही अरज हम सुना जा रहे है... आप ३
वो काला सहसावन...
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|वो काला सहसावन वाला (२) सुध बिसरा गया मोरी रे (२) शिवादेवी नंदकीशोर जो (२) कर गयो रे, कर गयो रे, कर गयो मनकी चोरी रे...
...सुध बिसरा... कालो काजल अखियन सोहे, काले बादल में ज्युं जल होवे (२) । |सुरभि सुहागन सुंदर सोहे (२) काली भयी कस्तूरी रे... सुध बिसरा.
काली कीकी काला तील है, कालोदधि का काला जल रे (२) वैसी ही काली सुरत तोरी (२) में तो गया बलिहारी रे...
___...सुध बिसरा... कनक कसोटी पथ्थर कालो, कालो कनैयो जशोदा को लालो (२) जो काले ने राजुल तारी (२) जय जय जय गिरनारी रे...
सुध बिसरा...
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