________________
तारा विना नेम मने...
- (राग : तारा विना श्याम मने) तारा विना नेम मने अकलडं लागे, जान जोडीनै वहेलो आवजे... रोज रोज तारी याद आवे, तारा विरहनी वेदना सतावे (२) . आव्यो हुं तारे द्वार, मांगु छु तारी पास (२) दरशन देवाने वहेलो आव आव आव नेम... तारा...१ चोरी बांधी छे चोकमां, दीवडा मूक्या छे गोखमां (२) तुं ना आवे तो नेम, परणुं हुं बीजे केम ? (२) जान जोडीने वहेलो आव आव आव नेम... तारा...२ ... नव नव भवनी आ प्रितडी, राजुलनी साथे छे नेमनी (२) सतावे तुं मने केम ? तरछेडो तुंशाने नेम? नव भवनो राख नेह नेह नेह नेम... तारा...३
गिरनारजीका नाथ है...।
(राग : जनम जनम का साथ...) . गिरनारजीका नाथ है, हमारा तुम्हारा... हमारा तुम्हारा कानमें कुंडल डोले, मस्तके मुकुट सोहे, अंजन वरणी काया, भक्तो के मन मोहे,
भवकी यात्रा पूरण होवे, आये द्वार तीहारा... गिरनार...१ आप भये ब्रह्मचारी, निर्मळ निर्विकारी, विषयवासना भारी, दूर करे गिरनारी,
मोहकी निद्रा दूर करे ये, शरण की बलिहारी... गिरनार...२
૧૦૪