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११. वल्लभीपूरनो भंग थतां इन्द्रमहाराजाए स्थापन करेल श्री नेमिनाथ
भगवानना बिंबनी रत्नकांति गिरनारमां लुप्त करवामां आवी हती ते मूर्ति आजे गिरनारमां मूळनायकना स्थाने बिराजमान छे. १२. गिरनार महातीर्थमां विश्वनी सौथी प्राचीन एवी मूळनायक तरीके बिराजमान श्री नेमिनाथ भगवाननी मूर्ति लगभग १,६५,७३५ वर्ष न्यून (ओछा) एवा २० कोडाकोडी सागरोपम वर्ष प्राचीन छे गई चोवीसीना त्रीजा सागरनामना तीर्थंकरना काळमां ब्रह्मेन्द्र द्वारा बनाववामां आवेल हती. आ प्रतिमाने प्रतिष्ठित कर्याने लगभग ८४,७८५ वर्ष थया छे ते मूर्ति आ ज स्थाने हजु लगभग १८, ४६५ वर्ष सुधी पूजाशे त्यारबाद शासन अधिष्ठायिका द्वारा पाताळलोकमां लइ जइने पूजाशे.
१३. गिरनार उपर इन्द्र महाराजाए वज्रथी छिद्र पाडीने सोनाना बलानक-झरूखावाळु रूपानुं चैत्य बनावीने मध्यभागमां श्री नेमिनाथ परमात्मानी चालीस हाथ ऊंचाइनी श्यामवर्णनी रत्ननी मूर्ति स्थापन करी हती.
१४. इन्द्र महाराजाए पूर्वे बनाव्यं हतु तेवुं पूर्वाभिमुख जिनालय श्री नेमिनाथ भगवानना निर्वाण स्थाने पण बनाव्युं हतुं.
१५. गिरनारमां एक समये कल्याणना कारणस्वरूप छत्रशिला, अक्षरशिला, घंटाशिला, अंजनशिला, ज्ञानशिला, बिन्दुशिला अने सिद्धशिला आदि शिलाओ शोभती हती.
१६. जेम मलयगिरि उपर बीजा वृक्षो पण चंदनमय बनी जाय छे तेम गिरनार उपर आवनार पापी प्राणीओ पण पुण्यवान थई जाय छे.