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________________ हांरे मारे देशना निसुणी, बुज्या राजुल नारजो, निज स्वामीने हाथे संयम आदरे रे लो; हांरे मारे अष्ट भवोनी, पाळी पूरण प्रीतजो, पियु पहेला शिव लक्ष्मी राजमती वरे रे लो ६ हांरे मारे विचरी वसुधा, पावन कीधी सारजो, जग चिंतामणी जग उपगारी, गुणनिधिरे लो; हांरे मारे जिन उत्तम पद पंकज केरी सेवजो, करता रतन विजयनी कीरति अति वधीरे लो. ७ (९) द्वारापुरीनो नेम द्वारापुरीनो नेम राजीयो; तजी छे जेणे राजुल जेवी नार रे, गिरनारी नेंम संयम लीधो छे बाळा वेशमां १ मंडप रच्यो छे मध्यचोकमां, जोवा मळीया छे द्वारापुरीना लोक रे. २ भाभीए मेणामार्या नेमने, परणे व्हालो श्री कृष्णनोवीर रे. ३ गोखे बेसीने राजुल जोइ रह्या, क्यारे आवे जादवकुळनो दीप रे ४ नेमजी ते तोरण आवीया, सुणी कंइ पशुनो पोकार रे ५ सासुए नेमजीने पोंखीया, व्हालो मारो तोरण चढवा जाय रे ६ नेमजीने साळाने बोलावीया, शाने करे छे पशुडा पोकार रे ७ राते राजुल बहेन परणशे, सवारे देशुं गौरवना भोजन रे ८ पशु पोका कर्यो नेमने, उगारो व्हाला राजीमती केरां कंत रे ९ नेमजीओ रथ पाछो वाळीओ, जई चढ्या गढ गिरनार रे. १० राजुल बेनी रूवे धुसके, रूवे कांइ द्वारापुरीना लोक रे ११ वीरा बेनीने समजावीया, अवर देशुं नेम सरीखो भरथार रे १२ पीयुं ते नेम एक धारीया, अवर देखु भाईने बीजा बाप रे १३ ૧૧૯
SR No.002497
Book TitleGirnar Geetganga
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHemvallabhvijay
PublisherGirnar Mahatirthvikas Samiti
Publication Year2016
Total Pages334
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size19 MB
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